Thursday 10 October 2019

भारत एक हिंदू राष्ट्र, कोई आर्थिक मंदी नहीं, लिंचिंग से देश को बदनाम न करें : भागवत






फरीदाबाद (काप्र)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ अपने इस नजरिये पर अडिग है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। नागपुर के रेश्मीबाग में संघ के विजयादशमी उत्सव के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राष्ट्र के वैभव और शांति के लिये काम कर रहे सभी भारतीय हिंदू हैं। सरसंघ चालक ने कहा संघ की अपने राष्ट्र की पहचान के बारे में हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है, वह सुविचारित व अडिग है कि भारत हिंदुस्तान, हिंदू राष्ट्र है। संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू अगर चाहते हैं कि उनकी आवाज दुनिया द्वारा सुनी जाए तो उन्हें एकजुट होने और शक्ति हासिल करने की जरूरत है। इस मौके पर भागवत ने कहा कि तथाकथित आर्थिक मंदी के बारे में बहुत अधिक चर्चा की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे कारोबार जगत तथा लोग चिंतित होते हैं और आर्थिक गतिविधियों में कमी आती है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वदेशी पर आरएसएस के जोर का मतलब आत्मनिर्भरता है, न कि आर्थिक अलगाव।
हिंदू राष्ट्र मुद्दे पर भागवत ने कहा हम मानते हैं कि एक हिंदू व्यक्ति बहुलतावाद को स्वीकार करता है, धर्मों का सम्मान करता है और देश की बेहतरी के लिये काम करता है। यह चीजें सुनने में अच्छी लगती हैं लेकिन दुनिया ताकतवारों की बात ही सुनती है। उन्होंने कहा मैं २००९ में भी संघ प्रमुख था, लेकिन तब मुझे सुनने के लिये यहां इतने लोग नहीं थे। आज यहां ज्यादा लोग हैं और इसकी वजह है विभिन्न क्षेत्रों में संघ की वृद्धि। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ हिंदू समाज का संगठन करता है इसका अर्थ यह नहीं है कि वह अन्य वर्गों, विशेषकर मुस्लिम व ईसाईयों से शत्रुता रखता है। इससे पहले संघ  प्रमुख ने शस्त्र पूजा भी की।
इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भीड़ हत्या पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लिचिंग शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपें। सरसंघचालक ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद ३७० के अधिकतर प्रावधान हटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह की सराहना भी की।
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