Friday, 24 July 2020

कोलेटरल सिक्योरिटी वाले ऋण धारकों को सिबिल के मायाजाल से मुक्त रखा जाए : विनोद गुप्ता


गुरुग्राम 24 जुलाई । गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष श्री विनोद गुप्ता ने केंद्र सरकार से एमएसएमई की राह से सिबिल की अनावश्यक शर्तों को हटाने की मांग की है।
आपने कहा है कि जो व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखकर बैंक से कर्जा लेता है और किसी कारणवश वह देरी से भुगतान करता है या उसकी किस्ते टूट जाती है तो उसका नाम सिबिल में ना दिया जाए क्योंकि उसने लिए हुए ऋण से अधिक की प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखी होती है।
श्री गुप्ता का कहना है कि सिबिल में केवल उन्हीं लोगों का नाम भेजा जाना चाहिए, जिन्होंने कलेक्टर फ्री लोन लिया है और किसी कारण अदा नहीं कर पा रहे।
श्री गुप्ता के अनुसार सिबिल इसलिए बनाई गई थी, ताकि व्यक्ति एक ही मद पर एक से अधिक बैंकों से लोन ना ले सके, परंतु बैंक एमएसएमई को सुविधा ना देने के लिए इसका खुलकर दुरुपयोग कर रहे हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि आज स्थिति यह है कि लिए गए ऋण से दोगुनी या इससे भी अधिक की प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखने पर देरी से भुगतान करने उपरांत या पूरा भुगतान कर चुकने उपरांत ब्याज या बैंक चार्जेस को लेकर यदि कोई विवाद खड़ा हो जाता है तो बैंक तुरंत उपभोक्ता का नाम सिविल में डाल देते हैं और एन.ओ.सी नहीं देते। कई बार समझौता हो जाने उपरांत बैंक का पैसा चुकता करने के बाद भी सिविल में नाम होने के कारण एमएसएमई का भविष्य चौपट हो जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मामले में कोई अपील या दलील नहीं है।
श्री गुप्ता ने केंद्रीय वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर से अनुरोध किया है कि एमएसएमई को सिबिल की इस बाधा से मुक्त किया जाए। आपने औद्योगिक संगठनों से भी अपील की है कि वह इस मुद्दे को उठाए ताकि एमएसएमई का सही अर्थों में भला हो सके।
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