डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दामों को देखते हुए पाइप्ड नेचुरल गैस( पीएनजी) गैस की मांग बढ़ने लगी है। औद्योगिक क्षेत्र मानेसर के सेक्टरों में अभी तक पीएनजी गैस सप्लाई शुरू नहीं हो पाई गई। सरकार की तरफ से हरियाणा सिटी गैस लिमिटेड को क्षेत्र में गैस सप्लाई करने का कार्य सौंपा है। काफी साल बाद अभी तक सभी कंपनियों तक पीएनजी नहीं पहुंच पाई है। इसके कारण उद्यमियों को डीजल का उपयोग करना पड़ता है। यह काफी महंगा पड़ रहा है। अगर पीएनजी का इस्तेमाल होता है तो उद्यमियों को काफी फायदा हो जाएगा। औद्योगिक क्षेत्र मानेसर के सेक्टर और चार, सात वा सेक्टर आठ के कुछ भाग में पीएनजी गैस की सप्लाई हो रही है लेकिन अन्य सेक्टरों में अभी तक पाइप लाइन भी नहीं डाली गई है।
हरियाणा सरकार ने पीएनजी गैस के इस्तेमाल को प्राथमिकता देते हुए मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में डीजल के मुकाबले में इसका प्रयोग करने का कार्य किया था। इसके लिए हरियाणा सिटी गैस लिमिटेड को पाइप लाइन डालने का कार्य दिया। हरियाणा सिटी गैस लिमिटेड ने औद्योगिक क्षेत्र को दो भागों में बांट दिया था। एक भाग में सेक्टर दो, दो ए, तीन का कुछ भाग, पांच और छह शामिल हैं। वहीं दूसरे भाग में सेक्टर तीन का कुछ भाग, चार, सात और आठ शामिल है। उद्यमियों के कहना है कि सेक्टर तीन के कुछ भाग, पांच और छह में अभी तक पाइप लाइन भी नहीं डाली गई है।
इससे रोजाना डीजल का इस्तेमाल करना पड़ता है। अगर यहां पीएनजी गैस पहुंचा दी जाती है तो औद्योगिक उत्पादन में काफी तरक्की होगी। हरियाणा सिटी गैस लिमिटेड की तरफ से बताया गया है कि औद्योगिक क्षेत्र मानेसर में गैस की सप्लाई की जा रही है। सेक्टर पांच और छह में पाइप लाइन का कार्य किया जा रहा है लेकिन पवन यादव ने बताया की आज भी सिर्फ आधे आईएमटी में ही गैस की सप्लाई हो रही है जो ना काफी है इसके गैस कंपनी कनेक्शन देने में भी अत्यधिक समय लगाती है जो उद्योगों को नुकसान पहुंचा रहा है।
आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन यादव ने बताया कि डीजल के मुकाबले में पीएनजी का इस्तेमाल करने के लिए उद्यमी तैयार हैं। सरकार भी चाहती है लेकिन काफी समय बीतने के बाद अभी तक लाइन डालने का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है। इससे प्रदूषण स्तर भी बढ़ रहा है और आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। इस तरफ जिला प्रशासन और सरकार को ध्यान देना चाहिए जिस कंपनी को इस काम का ठेका दिया गया है उस पर सख्त कदम उठाए जाएं। इसके लिए हम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी जाएंगे और वहां पर कंपनी की शिकायत भी की जाएगी।
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