श्री कपिल चौपड़ा के अनुसार जहां एक ओर सरकार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये प्रभावी पग उठा रही है वहीं दूसरी ओर वास्तविक स्थिति यह है कि औद्योगिक उत्पादन की लागतों में निरंतर बढ़ौतरी हो रही है और इससे न केवल उद्योगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं उत्पादन की लागत को कम करने के प्रयास विफल हो रहे हैं।
श्री चौपड़ा ने देश में बिजली की बढ़ रही दरों, पानी की उपलब्धता को लेकर बढ़ रही समस्या, भूमि उपलब्ध न होने व करों की दर में निरंतर बढ़ौतरी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा है कि इससे विकसित भारत के सपने पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
श्री चौपड़ा ने बताया कि बिजली की दरों में पिछले एक दशक में काफी बढ़ौतरी दर्ज की गई है जबकि पानी की उपलब्धता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे गिर गया है और पूरे एनसीआर को फिल्टर पानी खरीद कर पीना पड़ता है।आपने उद्योगों के विस्तार में आ रही समस्याओं का जिक्र करते कहा है कि इस हेतु भूमि उपलब्ध नहीं है और यदि उद्योग अनअप्रूव्ड औद्योगिक क्षेत्रों मेें अपनी ईकाई स्थापित कर लेता है तो उसे एनओसी नहीं मिलती, बैंकों द्वारा लोन नहीं दिया जाता और विभिन्न औपचारिकताओं में फंसकर रह जाता है।
श्री चौपड़ा ने स्पष्ट करते कहा है कि यदि सरकार बिजली, पानी, भूमि की उपलब्धता तथा करों की दर को कम करने के लिये प्रभावी पग उठाए तो जहां इससे उद्योगों को तो प्रोत्साहन मिलेगा ही वहीं औद्योगिक उत्पादन की दरों को भी नियंत्रित किया जा सकेगा जो वर्तमान समय में एक बड़ी चुनौती है।
श्री चौपड़ा ने विश्वास व्यक्त किया है कि केंद्र सरकार ऐसी प्रभावी नीति तैयार करेगी जिससे उद्योगों को लाभ मिलेगा और सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था विकास दर को दो अंकों में लाने के प्रयासों की ओर कदम बढ़ाए जा सकेंगे।

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