Thursday 2 May 2019

फरीदाबाद लोस : धन वूसली के प्रश्न की गूंज से राजनीतिक क्षेत्र में हलचल का माहौल, आम आदमी पार्टी की पत्रकार वार्ता में उठा सवाल


फरीदाबाद। फरीदाबाद संसदीय सीट से लोकसभा चुनावों के प्रत्याशियों द्वारा प्रचार अभियान तेज करने के साथ ही आरोपों प्रत्यारोपों का दौर भी आरम्भ हो गया कहा जा सकता है। अभी तक इन आरोपों में सरकारों के कामों व दलों के एजेडों को ही निशाना बनाया जा रहा था परन्तु अब धन वसूली के प्रशन भी उठने लगे है, जिससे साफ है कि मतदान तक उम्मीदवारों द्वारा स्वयं या उनके समर्थकों के माध्यम से कई ओर सवालों को सामने लाया जा सकता है।
फरीदाबाद लोकसभा चुनावों में धन वसूली के इन आरोपों में आम आदमी पार्टी को घेरा जा रहा है। घटनाक्रम के अनुसार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार श्री नवीन जयहिन्द ने फरीदाबाद में पत्रकारों को सम्बोधित किया जिसमें उन्होने बताया कि उन्होने चुनाव आयोग द्वारा मिले सुरक्षा कर्मी को वापिस कर दिया गया है।
पत्रकार सम्मेलन में श्री जयहिन्द की घोषणा के साथ ही आम आदमी पार्टी के लिए पाली क्रेशर जोन से अढ़ाई करोड़ रूपए वसूलने का प्रशन उठा दिया गया। इस संबंध में वसूली की बात को श्री जयहिन्द ने पार्टी और उन्हें बदनाम करने का षडय़ंत्र बताया।
हालांकि वसूली के प्रश्न पर आप कार्यकर्ताओं व नेताओं ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और इसे महज बदनाम करने के आरोप के साथ ही समाप्त करने का प्रयास किया गया परन्तु राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा है कि धन वसूली के इस प्रश्र की गूंज चुनावों में आने वाले समय में सुनाई दे सकती है, क्योंकि पाली क्रेशर जोन और आम आदमी पार्टी का वर्तमान में वैसा ही संबंध है जैसा जल और मछली का होता है।
अढ़ाई करोड़ की वसूली के संबंध में उठे प्रशन का इसलिए भी चर्चा में आना स्वाभाविक था क्योंकि क्योंकि पाली क्रेशर जोन के प्रधान श्री धर्मवीर भड़ाना हैं, जो आप के बडख़ल के अध्यक्ष भी हैं, यही नहीं उन्हे फरीदाबाद बडख़ल विधानसभा क्षेत्र से भविष्य में आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार भी माना जा रहा है। श्री भड़ाना राजनीतिक क्षेत्र में काफी सक्रीय भी रहे हैं। सामाजिक कार्यों के साथ साथ पाली क्रेशर जोन क्षेत्र में उनकी अपनी विशेष पहचान है, ऐसे में जब वसूली का प्रशन उठा तो यह श्री जयहिन्द के साथ साथ श्री भड़ाना के लिए भी रहा, ऐसा कहा जा सकता है।
हालांकि आम आदमी पार्टी ने यह कहते हुए वसूली की बात को नकार दिया कि यह आप जैसी ईमानदार पार्टी को बदनाम करने का षडय़न्त्र है, परन्तु प्रशन यह है कि वसूली की बात आई कहां से? क्योंकि चुनाव में अभी तक ऐसी चर्चा न तो कांगे्रेस उम्मीदवार के संबंध में आई और न ही भाजपा, बसपा व अन्य दलों के उम्मीदवार भी ऐसे प्रश्रों की जर्त में नहीं आए। ऐसे में यदि आप पार्टी पर वसूली की बात उठी तो कुछ तो है क्योंकि साफ है कि धुंआ वहीं होता है जहां आग लगी हो या लगने वाली हो, ऐसी चर्चा क्षेत्र में बनी हुई है।
प्रशन यह भी है कि वसूली की बात इस प्रकार सार्वजनिक रूप से सामने क्यों लाई गई? आप नेताओं ने कहा कि यह बदनामी का एक षडय़ंत्र है? साफ है यदि वसूली के आरोप लगेंगे तो बदनामी या उसके प्रयास तो होंगे ही, परन्तु एक विशेष दल या विशेष जोन से वसूली के प्रशन कई सवालों को खड़ा कर गई, ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
बहरहाल चुनावी दौर रंग दिखाने लगा है। यदि वसूली हुई है तो जांच का विषय यह है कि वसूली की किसने और इससे प्रभावित कौन हुआ और इसका हिस्सा कहां तक पंहुचा? और यदि वसूली नहीं हुई तो जांच का विषय यह है कि वसूली का प्रशन आया कहां से? क्योंकि यह प्रशन आप जैसी पार्टी के समक्ष लाया गया है, जो हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सपा, इनेलो, जजंपा और अकाली दल जैसे राजनीतिक दलों के बीच से अपना रास्ता बना रही है और कुछ ही समय में ऊचांईयों के अर्श तक पंहुची है। आने वाले समय में अढ़ाई करोड़ वसूली का प्रश्न राजनीतिक क्षेत्र में क्या रंग लाता है यह तो भविष्य ही बताएगा, परन्तु साफ है कि गम्भीर आरोपों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दौर आरम्भ हो चुके है जिनसे उम्मीदवारों और पार्टियों को बचना होगा, क्योंकि पार्टियों द्वारा काम करने या न करने के आरोपों को जनता नजरअन्दाज कर सकती है परन्तु धन संबंधी जहां बात आती है वहां आम व्यक्ति की भावना आहत दिखाई देती है, जो न राजनीतिक दलों के लिए अच्छे संकेत है और न ही लोकतंत्र के लिए, ऐसा प्रबुद्ध वर्ग का मानना है।
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