Wednesday 6 November 2019

होण्डा मोटरसाईकिल : स्थिति विस्फोटक बनती जा रही है.... अस्थाई श्रमिकों की सेवा समाप्ति के नोटिस के विरोध में कंपनी के अंदर-बाहर श्रमिकों का धरना


मानेसर/गुरूग्राम (रैपको न्यूज प्रतिनिधि)। औद्योगिक संस्थानों में कैजुअल या ठेकेदार के श्रमिक आवश्यकतानुसार रखे जाते हैं और उनकी संख्या कम या ज्यादा होना स्वाभाविक है जब काम नहीं होता तो श्रमिक हटा दिए जाते हैं और जब काम होता है तो फिर से भर्ती कर लिये जाते हैं।
वर्तमान में आर्थिक मंदी के कारण बड़े उद्योगों में उत्पादन कम किया जा रहा है जिसके कारण श्रमशक्ति कम करने की आवश्यकता पड़ रही है, जो स्वाभाविक है परंतु हमारे कामरेडो को इतनी सी बात समझ नहीं आती और वह इसे मुद्दा बनाकर मानेसर उद्योग क्षेत्र में फिर से अपना परचम लहराने के प्रयास में कहे जा सकते हैं।
मानेसर स्थित होंडा मोटरसाईकिल एंड स्कूटर लिमिटेड ने कैजुअल एवं ठेकेदार के 700 श्रमिकों को सेवा समाप्ति के नोटिस मिलने की सूचना से लगता है कि कामरेडों की बांछे खिल गई हैं। कम्पनी के अंदर और बाहर श्रमिक धरना दिए बैठे हैं जो यूनियन की सहमति व शाबाशी के बिना संभव नहीं है। धरने से उत्पादन कार्य ठप्प होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि बाधा आरंभ हो गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को जब कर्मचारियों को सेवा समाप्ति का नोटिस थमाया गया तो श्रमिक प्रदर्शन पर उतर आए। यूनियन के हस्तक्षेप उपरांत श्रमिक सोमवार को तो चले गये परंतु जब मंगलवार को उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया तो अंदर काम कर रहे थे वे भी काम छोडक़र कंपनी के अंदर धरने पर बैठ गये हैं। आज स्थिति यह है कि कंपनी के अंदर लगभग 1500 श्रमिक और गेट के बाहर भी इतने ही श्रमिक धरने पर बैठे हैं।
डिप्टी लेबर कमिश्रर अजय पाल डुडी के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम समस्याओं का समाधान कराने हेतु प्रयास कर रही है परंतु अभी तक कोई समाधान नहीं निकला।
श्रमिकों व प्रंबधन के बीच तनातनी पिछले दो माह से चल रही है। यूनियन का कहना था कि अस्थाई श्रमिकों को निकालने की बजाय उनके कार्य को लेकर एक नीति बनाई जाए जबकि वास्तविकता यह है कि जब प्रबंधन के पास कार्य ही नहीं ंहै तो नीति कैसे बनाएगा। नियमित श्रमिकों की यूनियन के प्रधान सुरेश गौड़ का कहना है कि प्रबंधन को अस्थाई श्रमिकों की पीड़ा समझनी चाहिए, परंतु श्री सुरेश गौड़ के व्यवहार से ऐसा लगता है कि अब अस्थाई श्रमिकों के साथ-साथ स्थाई श्रमिकों को दांव पर लगाने जा रहे हैं जिस प्रकार धरना चल रहा है उसे लेकर कंपनी कभी भी बड़ा कदम उठा सकती है।
इधर डीएलसी श्री अजयपाल डुडी साकारात्मक परिणाम की उम्मीद लगाए हुए हैं उनका कहना है कि वार्ता से शीघ्र समाधान सामने आएगा परंतु इस बात का किसी के पास जबाव नहीं कि जब वास्तविकता से दूर हटकर कोई बातचीत की जाएगी तो उसका परिणाम साकारात्मक कैसे हो सकता है।
जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है। 
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