Thursday 30 April 2020

मानवता की लड़ाई में इतिहास के अनुरूप आगे आएं सिख यूथ : राणा


(सरदार हरी सिंह नलवा)
फरीदाबाद। सरब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव एवं पंजाबी सेवादल फरीदाबाद के संरक्षक स. रविंद्र सिंह राणा ने समाज के सभी वर्गों से आह्वान किया है कि वे कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए अपने अपने स्तर पर ना केवल प्रयास करें बल्कि चिकित्सकों पुलिस प्रशासन व निगम कर्मियों को अपना सहयोग दें। यहां सिख सेनापति हरि सिंह नलवा के शहीदी दिवस पर अपने संदेश में श्री राणा ने कहा है कि मानवता की जंग में हमें धर्म जाति या अन्य भेदभाव से दूर होकर केवल इंसानियत हो मानना चाहिए और अपने अपने स्तर पर स्वच्छता, सैनिटाइजेशन, लंगर व जागरूकता इत्यादि के कार्यों में योगदान देना चाहिए।
सरदार हरी सिंह नलवा को याद करते हुए स. राणा ने बताया कि सरदार हरि सिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह के सेनाध्यक्ष थे, जिन्होने कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से परिपूर्ण स. हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया। यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले अफगान आक्रमणों से देश को मुक्त किया। महाराजा रणजीत सिंह के सिख शासन के दौरान 1807 ई. से लेकर 1837 ई. तक हरि सिंह नलवा लगातार अफगानों के खिलाफ लड़े। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर नलवा ने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की व्यवस्था की थी।
स राणा ने कहा है कि आज एक बार पुनः समय आ गया है जब हम मानवता की लड़ाई में अपनी कौम व पंथ के इतिहास के अनुरूप सहयोग दें। कहा गया है कि जरूरतमंदों की सेवा व मानवता तथा प्रकृति संरक्षण सिखों का प्रथम कर्तव्य है और इस हेतु  सीख वर्ग द्वारा चलाए जा रहे लंगर व स्वच्छता संबंधी अभियान सराहनीय है। श्री राणा ने पंथ से जुड़े लोगों विशेषकर यूथ को अपने प्रयासों को और तीव्र रूप देने का आह्वान किया है।
पंजाबी सेवादल फरीदाबाद के महासचिव एडवोकेट नरेंद्र सिंह कंग ने बताया कि पंजाबी सेवादल द्वारा कौम के शहीदों को याद करने के लिए विशेष आयोजन किए जाते रहे हैं।
श्री कंग ने जानकारी दी कि मौजूदा समय में जबकि लॉक डाउन का समय है और सोशल डिस्टेंस को आवश्यक माना जा रहा है, ऐसे में कोई आयोजन नहीं किए जा रहे। आपने बताया कि लोक डाउन उपरांत पंजाबी सेवादल अपने उद्देश्यों के अनुरूप ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देगा जिससे आने वाली पीढ़ी पंथ के नायकों व शहीदों के बलिदान को याद रख सके।
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