Saturday 13 June 2020

जेसीबी में ठेके पर रखे गए 104 श्रमिकों को नौकरी से अलग किए जाने को छटनी का रूप देकर हाय तौबा मचा रहे हैं विधायक


फरीदाबाद 13 जून (रैपको न्यूज़)। समाज कल्याण एवं मानव सेवा के कार्यो में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले औद्योगिक संस्थान जेसीबी इंडिया लिमिटेड ने अपने यहां ठेके पर रखे गए 104 श्रमिकों को नौकरी से जवाब क्या दिया, पूरे क्षेत्र में उद्योग विरोधी तत्वों ने हाय तौबा मचा दी।
हालांकि यह कर्मचारी आउटसोर्सिंग की नीति के अंतर्गत ठेकेदार द्वारा फैक्ट्री में भेजे गए बताए जाते हैं और काम ना होने के कारण कंपनी ने उन्हें जवाब दे दिया।
हाय तौबा मचाने में फरीदाबाद के कांग्रेसी विधायक नीरज शर्मा सबसे आगे नजर आए। अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में वह यह भी भूल गए कि ठेकेदार के माध्यम से व्यक्ति काम पर पहले से ही इस शर्त पर रखे जाते हैं कि यदि काम होगा तो उन्हें रखा जाएगा और यदि काम नहीं होगा तो उन्हें नहीं रखा जाएगा।
इसी प्रकार काम कम या अधिक होने पर औद्योगिक संस्थानों में ठेके पर रखे गए कर्मचारियों की संख्या कम होती या बढ़ती रहती है एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो उद्योगों और उद्योगों में काम करने वाले लोगों के लिए साधारण ज्ञान का विषय है।
विधायक महोदय ने इसे छटनी का नाम देकर इससे अपना राजनीतिक फर्ज तो पूरा कर लिया है परंतु वह यह भूल गए हैं कि जेसीबी के समझदार और विवेकशील श्रमिक उनके झांसे में आने वाले नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि विश्वव्यापी महामारी कोरोना के कारण कंपनी का काम एक चौथाई भी नहीं रहा, ऐसे में भी कंपनी में अभी तक फ्लोर शॉप के किसी कर्मचारी को नौकरी से अलग नहीं किया और ठेके पर चल रहे फ्लोर शॉप के  250 से अधिक कर्मचारी अपना काम कर रहे हैं। परंतु यदि इस कांग्रेसी विधायक महोदय ने उत्पात मचाया तो उनकी नौकरी पर भी आंच आ सकती है।
ऊपर से तुर्रा यह है कि कांग्रेसी विधायक महोदय जेसीबी की जमीन के बढ़े हुए भाव बता कर नौकरी से अलग किए कर्मचारियों को ही नहीं, क्षेत्र के अन्य लोगों को भी गुमराह कर रहे हैं। शायद उन्हें ज्ञात नहीं कि कर्मचारियों का वेतन कंपनी अपना उत्पाद बाजार में बेचकर अदा करती है, जमीन बेचकर नहीं।
कंपनी के अंदर काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें नौकरी से अलग किए गए कर्मचारियों से सहानुभूति है, परंतु क्योंकि उनका अलग किया जाना गैरकानूनी नहीं इसलिए वह उनका साथ नहीं दे सकते।
 प्रबंधन की भी लगभग यही सोच है कि काम न होने की वजह से इन कर्मचारियों को नौकरी से अलग किया गया है और स्थिति सामान्य होते ही इन्हें काम पर वापस लिया जा सकता है क्योंकि कंपनी की नीति ना कभी कर्मचारी विरोधी रही है और ना कभी रहेगी।
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