गुरुग्राम 15 जुलाई (रैपको न्यूज़)। क्षेत्र के प्रमुख औद्योगिक संगठन गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आग्रह किया है कि डीजल जनरेटर की रेट्रोफिटिंग कराने अथवा इसे गैस आधारित कराने के आदेशों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
एसोसिएशन के प्रधान श्री जेएन मंगला ने यहां बताया है कि हरियाणा स्टेट पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड ने दिनाॅक 25 जून को एक कार्यालय आदेश जारी किया है। इस कार्यालय आदेश द्वारा इण्डस्ट्री को 3 माह के भीतर 500 केवीए या उससे अधिक क्षमता वाले डीजल जनरेटर पर सीपीसीबी मान्यता वाली लैब से स्वीकृत उत्र्सजन नियंत्रण उपकरण की रेट्रोफिटिंग कराना अथवा उनको गैस आधारित जनरेटर में परिर्वतित करना आवश्यक है।
श्री मंगला ने कहा है कि उद्योग प्रबंधक पर्यावरण संरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है। उद्योग पहले से ही पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के तहत सभी प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को पूरा कर रहा है और यहां तक कि ऑनलाइन सतत निगरानी प्रणाली स्थापित की है और सीपीसी सर्वर से जुड़े हैं। उत्र्सजन नियंत्रण उपकरण की लागत बहुत ज्यादा है तथा इस उपकरण की दक्षता अपेक्षित स्तर की नही है क्योकि कुछ वर्षों में इससे उत्पन्न उत्र्सजन की मात्रा अधिक हो जाती है। पीएनजी की लागत मौजूदा ईंधन की लागत से 3 गुना से अधिक है तथा हर औद्यौगिक क्षेत्र में पीएनजी की लाइन उपलब्ध नही है।
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मेजर (रि0) केसी संदल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण दिनाॅक 22 मार्च से लाकडाउन की वजह से औद्यौगिक इकाईयो के परिचालन को अकस्मात बन्द करना पड़ा जिसके कारण उद्यमियों को भारी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। लाकडाउन 4 में उद्यमियों को औद्यौगिक इकाईयाॅ कुछ शर्तो के साथ पुनः शुरू करने का अवसर दिया गया तथा अनलाॅक 1 में और रियायते दी गई परन्तु बिगड़ी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत उन्हे काफी कठिनाईयो का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में उद्योग को 3 माह के भीतर डीजल जनरेटर पर उत्र्सजन नियंत्रण उपकरण की रेट्रोफिटिंग कराने अथवा उनको गैस आधारित जनरेटर में परिवर्तित करने का दबाव नही बनाना चाहिए जबकि उद्योग पहले से ही सभी प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को पूरा कर रहा है।
श्री मंगला ने कहा कि एसोसिएशन पाॅल्यूषन कन्ट्रोल बोर्ड से अपेक्षा करती है कि वर्तमान आर्थिक संकट के मद्देनजर जो उद्योग सीपीसीबी द्वारा निर्धारित सभी उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन कर रहे हैं और ऑनलाइन निगरानी प्रणाली के अन्तर्गत हैै, उन्हे उभरने का समुचित समय दिया जाये तथा इस कार्यालय आदेश पर पुर्नविचार किया जाये।
एसोसिएशन के प्रधान श्री जेएन मंगला ने यहां बताया है कि हरियाणा स्टेट पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड ने दिनाॅक 25 जून को एक कार्यालय आदेश जारी किया है। इस कार्यालय आदेश द्वारा इण्डस्ट्री को 3 माह के भीतर 500 केवीए या उससे अधिक क्षमता वाले डीजल जनरेटर पर सीपीसीबी मान्यता वाली लैब से स्वीकृत उत्र्सजन नियंत्रण उपकरण की रेट्रोफिटिंग कराना अथवा उनको गैस आधारित जनरेटर में परिर्वतित करना आवश्यक है।
श्री मंगला ने कहा है कि उद्योग प्रबंधक पर्यावरण संरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है। उद्योग पहले से ही पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के तहत सभी प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को पूरा कर रहा है और यहां तक कि ऑनलाइन सतत निगरानी प्रणाली स्थापित की है और सीपीसी सर्वर से जुड़े हैं। उत्र्सजन नियंत्रण उपकरण की लागत बहुत ज्यादा है तथा इस उपकरण की दक्षता अपेक्षित स्तर की नही है क्योकि कुछ वर्षों में इससे उत्पन्न उत्र्सजन की मात्रा अधिक हो जाती है। पीएनजी की लागत मौजूदा ईंधन की लागत से 3 गुना से अधिक है तथा हर औद्यौगिक क्षेत्र में पीएनजी की लाइन उपलब्ध नही है।
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मेजर (रि0) केसी संदल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण दिनाॅक 22 मार्च से लाकडाउन की वजह से औद्यौगिक इकाईयो के परिचालन को अकस्मात बन्द करना पड़ा जिसके कारण उद्यमियों को भारी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। लाकडाउन 4 में उद्यमियों को औद्यौगिक इकाईयाॅ कुछ शर्तो के साथ पुनः शुरू करने का अवसर दिया गया तथा अनलाॅक 1 में और रियायते दी गई परन्तु बिगड़ी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत उन्हे काफी कठिनाईयो का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में उद्योग को 3 माह के भीतर डीजल जनरेटर पर उत्र्सजन नियंत्रण उपकरण की रेट्रोफिटिंग कराने अथवा उनको गैस आधारित जनरेटर में परिवर्तित करने का दबाव नही बनाना चाहिए जबकि उद्योग पहले से ही सभी प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को पूरा कर रहा है।
श्री मंगला ने कहा कि एसोसिएशन पाॅल्यूषन कन्ट्रोल बोर्ड से अपेक्षा करती है कि वर्तमान आर्थिक संकट के मद्देनजर जो उद्योग सीपीसीबी द्वारा निर्धारित सभी उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन कर रहे हैं और ऑनलाइन निगरानी प्रणाली के अन्तर्गत हैै, उन्हे उभरने का समुचित समय दिया जाये तथा इस कार्यालय आदेश पर पुर्नविचार किया जाये।
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