Thursday 27 August 2020

नेत्रदान पारिवारिक परम्परा बनाने की आवश्यकता पर बल



फरीदाबाद, 27 अगस्त (Repco News)। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड, जूनियर रेडक्रॉस तथा गाइडस द्वारा वर्चुअल 34 वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाडे में नेत्रदान को पारिवारिक परम्परा बनाने की आवश्यकता पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। ब्रिगेड अधिकारी, जूनियर रेडक्रॉस काउन्सलर तथा प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि हर वर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। इसका उद्देश्य नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को नेत्रदान करने के लिए प्रेरित करना है कॉर्निया में चोट या किसी बीमारी के कारण कॉर्निया को क्षति होने पर दृष्टिहीनता को ठीक किया जा सकता है। प्रत्यारोपण में आँख में से क्षतिग्रस्त या खराब कॉर्निया को निकाल दिया जाता है और उसके स्थान पर एक स्वस्थ कॉर्निया प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। देखने का अधिकार मानव के मूल अधिकारों में से एक है। अत: यह आवश्यक है कि कोई भी व्यक्ति अनावश्यक दृष्टिहीन न होने पाए और यदि है तो दृष्टिहीन न रहने पाए।प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि नेत्रदान सिर्फ मरणोपरांत ही किया जाता है। किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार शोकाकुल होता है ऐसी मुश्किल घड़ी में नेत्रदान करना जटिल होता है। ऐसे में समाज के लोग, समाज सेवी, अन्य प्रतिनिधि अहम भूमिका निभा सकते है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण अंधत्व वर्ष 2015-19 की रिपोर्ट के अनुसार देश में अंधेपन के कुल मामलों में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस की समस्या लगभग 7.9% बढ़ी है। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि हर साल लगभग 20,000 नए अंधेपन के मामलों में वृद्वि होती है। देश में प्रति वर्ष लगभग 2 लाख कार्निया की जरूरत होती है। जबकि जागरूकता की वजह से नेत्रदान में अभी भी प्रगति हो रही है लेकिन यह अपर्याप्त है। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि मृत्यु उपरांत नेत्रदान कर के ऐसे लोगों के जीवन में जो ईश्वरीय उपहार से वंचित हैं के जीवन में भी प्रकाश फैलाया जा सकता है और "एक करे नेत्रदान, दो का उजला करे जहान" को चरितार्थ होता किया जा सकता है। आज प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा, प्राध्यापिका जसनीत कौर तथा शीतू ने नेत्रदान के प्रति भ्रांतियां दूर करने के लिए तथा दूसरों को जागरूक करने के लिए छात्रा ताबिंदा, तनु और अंशिका को प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय घोषित करते हुए सभी को इस विषय में अपने घर में, मित्रों से तथा संबंधियों से वार्ता करने का आग्रह किया ताकि नेत्रदान रूपी महायज्ञ में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा सके।

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