Saturday 21 November 2020

बाल विवाह रोकने के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देश, बाल विवाह पर नपेंगे दूल्हा, पंडित, मौल्वी, ग्रन्थी या पादरी - डॉ अर्पित जैन



फरीदाबाद 21 नवंबर (Repco News)। माननीय उच्च न्यायालय, चण्डीगढ द्वारा बाल विवाह रोकने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए है कि ज्यादातर मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा व गिरजाघर शादी करवा रहे है। लेकिन उनके द्वारा शादी से संबंधित कोई भी रिकाॅर्ड, जैसे कि जन्म प्रमाण पत्र, दसवी कक्षा की अंकतालिका, आधार कार्ड, मतदाता कार्ड आदि नही लिए जाते है। बिना प्रमाण पत्र के लडका एवं लडकी की उम्र का पता नही लग पाता है जिसके चलते बाल विवाह हो जाता है।

माननीय अदालत ने जारी दिशा-निर्देशों में कहा है कि धारा 9 बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अन्र्तगत जो भी 18 वर्ष से अधिक आयु का वयस्क पुरूष बाल विवाह अनुबंधित करता है तो उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि 2 वर्ष या जर्माने से जो एक लाख रूपये हो सकता है या दोनो। इसी तरह धारा 10 बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत जो कोई भी बाल विवाह करता है, उसका संचालन करता है, निर्देशन करता है या उसका पालन करता है तो उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो 2 वर्ष या जुर्माने से जो एक लाख रूपये हो सकता है जब तक वह यह साबित ना कर दे कि उसके पास यह साबित करने का कारण है कि यह एक बाल विवाह नही था। दूसरे शब्दों में जो बाल विवाह करता है, करवाता है आदेश देता है वह दण्ड का भागी होगा जैसे दूल्हा, पंडित, मौल्वी गुरूद्वारा के ग्रन्थि, गिरजाघर का पादरी इत्यादि।

बाल विवाह को रोकने के माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए है।

इन निर्देशों के तहत मंदिर के पुजारी/पंडित, मोल्वी/काजी, गुरूद्वारा का ग्रन्थि और गिरजाघर का पादरी विवाह का एक उचित रजिस्टर बनाएगा और उसमे विवाह का प्रमाण पत्र/काउंटर फाइल रखेगा। शादी प्रमाण पत्र में लडके और लडकी की तस्वीर के अलावा दिए गए दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, मतदाता कार्ड, दसवी कक्षा की अंकतालिका, जन्म प्रमाण आदि का उल्लेख होगा और इस तरह के दस्तावेजो की प्रतिलिपी काउंटर फाइल में चिपकाएगा जो कि पुजारी/पंडित, मोल्वी/काजी, गुरूद्वारा का ग्रन्थि और गिरजाघर का पादरी द्वारा स्वंय उसका रखरखाव किया जाएगा।

उस व्यक्ति का हलफनामा जो कि नाबालिक दिखता है/हो दस्तावेज के रूप में नही लिया जाएगा। शादी के लिए जरूरी है कि उसमें से किसी के माता पिता का हलफनामा लिया जाए।

निर्देश दिए गए हैं कि सभी पूजारी/पंडित, मोल्वी/काजी, गुरूद्वारा का ग्रन्थि और गिराजाघर का पादरी हर तीन महीने के पशचात, संबंधित थानाध्यक्ष जिसके क्षेत्राधिकार में वह मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा, गिरजाघर, स्थित है को वह रजिस्टर, काउंटर फाइल के साथ पेश करेगा।

 कहा गया है कि यदि किसी थानाध्यक्ष को उसके क्षेत्राधिकार में बाल विवाह की सूचना मिलती है तो वह बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अन्तगत आरोपी के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही करेगा।

डीसीपी मुख्यालय डॉ अर्पित जैन ने कहा कि उपरोक्त दिशा निर्देश माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए हैं जिनकी पालना करना अति आवश्यक है। दिशा निर्देशों की पालना न करने वालों के खिलाफ फरीदाबाद पुलिस द्वारा कानून के तहत कार्यवाही की जायेगी।

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