Monday 26 July 2021

एनआईएन द्वारा कोविड-19 रोगियों के लिए डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी के नाइस प्रोटोकॉल की सिफारिश


फरीदाबाद, 26 जुलाई। कोविड-19 के इलाज के विकल्पों के मोर्चे पर एक अच्छी खबर है, और वह भी बिना दवाइयों के। एनआईएन, आयुष मंत्रालय ने नाइस (एन.आई.सी.ई.) प्रोटोकॉल के उपयोग की सिफारिश की है, जो कि हल्के से गंभीर कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए एक आहार आधारित इलाज है। शहर में आज डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने यह घोषणा की। नाइस के पीछे उनका ही दिमाग लगा है। एक प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष एवं डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने भारत के पहले एकीकृत चिकित्सा विज्ञान अस्पताल- राजीव दीक्षित मेमोरियल अस्पताल और चंडीगढ़ के पास एकीकृत चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एचआईआईएमएस) की स्थापना की है। गुरु मनीष प्रेस मीट में डॉ. बिस्वरूप के साथ उपस्थित थे।

यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि  डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित एक भारतीय चिकित्सा पोषण विशेषज्ञ हैं , उन्होंने एलायंस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी जाम्बिया से मधुमेह में डॉक्टरेट करने के अलावा कई भाषाओं में 25 से अधिक पुस्तकें  भी लिखी हैं। उन्होंने जून 2020 में नाइस यानी नेटवर्क ऑफ इंफ्लुएंजा केयर एक्सपर्ट्स की स्थापना की। नाइस के तहत डॉ. बिस्वरूप ने लिंकन व श्रीधर विश्वविद्यालयों के माध्यम से 3000 से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है।

डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने कहा, 'नाइस के तहत शून्य मृत्यु दर, शून्य साइड इफेक्ट और शून्य दवा के साथ 60,000 से अधिक कोविड-19 रोगियों को ठीक किया जा चुका है। नाइस प्रोटोकॉल के आधार पर, अहमदनगर, जयपुर और भोपाल स्थित हमारे केंद्रों सहित राष्ट्रीय स्तर पर संचालित कई कोविड-19 केंद्रों में कोविड-19 रोगियों का इलाज किया गया। नाइस के साथ पंजीकृत रोगियों में से लगभग 20 से 35 प्रतिशत रोगियों को गंभीर रोगियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें से कई में ऑक्सीजन सेचुरेशन (एसपीओ 2) 70 प्रतिशत से कम और एचआरसीटी स्कोर 15 से अधिक था, लेकिन किसी भी मरीज को बाहरी ऑक्सीजन नहीं दी गयी।' डॉ. बिस्वरूप कहते हैं, 'नाइस का लाभ लेने से पहले ही अधिकांश गंभीर रोगियों को या तो टीका लग चुका था या विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित प्रोटोकॉल के अनुसार उनका पहले से ही इलाज चल रहा था।'

बताया गया कि एनआईएन, आयुष मंत्रालय द्वारा अनुशंसित नाइस प्रोटोकॉल ने साबित कर दिया है कि हल्के से गंभीर मरीज सात दिनों में ठीक हो सकते हैं। दूसरे, नाइस प्रोटोकॉल में कोई दवा शामिल नहीं है और केवल नारियल पानी तथा खट्टे फलों का रस उपचार में प्रयोग होता है। इसके अलावा सांस लेने में कठिनाई वाले गंभीर रोगियों के लिए प्रोन वेंटिलेशन विधि उपयोग में लायी जाती है। नाइस प्रोटोकॉल पर रोगियों में मृत्यु दर, प्रतिकूल घटना या कोई भी दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।

एचआईआईएमएस के डायरेक्टर, डॉ. अमर सिंह आजाद, एमबीबीएस, एमडी- पीडियाट्रिक्स एंड एमडी कम्युनिटी मेडिसिन तथा डॉ. अवधेश पांडे, एमबीबीएस, एमडी रेडियोलॉजी ने भी मीडिया को संबोधित किया।

'एचआईआईएमएस में नाइस प्रोटोकॉल के अनुरूप उपचार होंगे, जो कि कैंसर, मधुमेह व हृदय रोगों सहित 60 से अधिक प्रमुख बीमारियों के लिए डिजाइन किये गये हैं,' डॉ. बिस्वरूप ने कहा।

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