Sunday 6 January 2019

जीएसटी प्रक्रिया में परिवर्तन के संकेत, जीएसटी व नॉन जीएसटी कंपोनैंट पर अलग-अलग बिल


दिल्ली। जीएसटी प्रणाली मेें आने वाले समय में नये परिवर्तन किये जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में उपभोक्ताओं को अलग-अलग बिल देने के संबंध में सहमति बन गई बताई जाती है जिसके तहत जीएसटी व नॉन जीएसटी आईटम्स को अलग-अलग बिलों के साथ दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस संबंध में विचार किया गया था और सबसे अधिक उपयोगी हैल्थ केयर सर्विस के उपभोक्ताओं के लिये माना जा रहा था। जीएसटी काउंसिल का मानना था कि हैल्थ सर्विसेज को ऐसा बिल देना चाहिए जो यह स्पष्ट करे कि किस आईटम पर बिल लगा और किसे बिल से मुक्त किया गया।
सूत्रों के अनुसार हैल्थ केयर सर्विसेज में कास्मेटिक सर्जरी, हेयर ट्रांसप्लांट, मेडिसन और कंज्यूमर आईम्टस पर जीएसटी देना होता है। यही नहीं इनमें कई सेवाएं तो ऐसी हैं जो मैक्सीमम रिटेल प्राईज सिस्टम के तहत भी हैं। ऐसे में अस्पतालों को किन चीजों पर डिस्काउंट मिलता है और किन चीजों पर हैल्थ केयर सर्विसेज जीएसटी रिवर्स लेती हैं उसका ग्राहक को पता नहीं चल पाता। यही नहीं बंडल्ड बिल में भी यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि जीएसटी और नॉन जीएसटी कम्पोनैंट कौन से हैं।
क्रमश: यही स्थिति फूड आईटम्स व रेस्तरां की है, जहां कुछ सर्विसेज जीएसटी के तहत आती हैं जबकि कई सर्विसेज को जीएसटी की अलग कैटागिरी में रखा गया है।
जीएसटी काउंसिल द्वारा दवाओं, हास्पिटलाईजेशन चार्जिज, कंज्यूमेबल्स को बांटने के सुझाव पर विचार किया गया था।
काउंसिल चाहती है कि ग्राहकों से जो जीएसटी लिया जाता है वह सरकार तक पहुंचे और यह स्पष्ट हो कि किस आईटम पर जीएसटी है और कौन नॉन जीएसटी कम्पोनैंट है।
जीएसटी कंपोजिट सप्लाई की परिभाषा में भी बदलाव पर पता चला है कि विचार किया जा रहा है और यदि ऐसा होता है तो बंडल्ड सप्लाई को लेकर नये कन्सैप्ट सामने आएंगे।
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