Saturday 9 February 2019

एफआईए द्वारा बजट व जीएसटी पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन


फरीदाबाद। श्री योगेन्द्र गर्ग आई.आर.एस. प्रिसीपल ए.डी.जी. जी.एस.टी. ने कहा है कि जीएसटी का यह सिद्धांत है कि व्यापारी भले कोई छूट जाए परंतु कोई भी व्यापार जीएसटी से बाहर नहीं रहना चाहिए। जीएसटी की दरों में निरंतर सुधार जारी है, अब मात्र २८ वस्तुएं ही २८ प्रतिशत जीडीपी के अंदर रह गई हैं। जब तक टैक्स कलैक्शन नहीं बढ़ती, इन्हें १८ प्रतिशत पर लाना संभव नहीं है।
श्री गर्ग यहां फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा आयोजित केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट एवं जीएसटी पर आयोजित एक कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। आपने कहा कि जीएसटी में कम्पोजिट स्कीम की सीमा बढ़ाने का उद्देश्य यह है कि विवाद कम हों और सभी को सुविधा हो। आपने कहा है कि कम्लायंस जितनी बढ़ेगी सिस्टम अपने आप ही ठीक होता जाएगा। देखा गया है कि प्राय: सप्लायर अपना निर्णय अधूरी सूचना के अनुसार कर लेता है जो कि ठीक नहीं है।
श्री गर्ग ने कहा है कि औद्योगिक संगठन ही नहीं आम सप्लायर भी अपनी समस्या सुझाव के साथ प्रस्तुत कर सकता है। उन्होंने औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों को विभाग के साथ तालमेल बनाने, अपनी समस्याएं बताने और अपने सुझाव व विचार सांझा करने पर बल देते कहा कि जब तक आप अपनी परेशानी बताओगे नहीं सरकार जीएसटी में कैसे सुधार कर सकती है। जीएसटी लागू होने से अब तक किये गये बदलाव का आधार औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों द्वारा प्रस्तुत परेशानियां ही रहा है। इस संबंध में जीएसटी काउंसिल की सोच बहुत खुली है।
श्री गर्ग ने बताया कि एमएसएमई क्षेत्र से मात्र ५१ प्रतिशत राजस्व प्राप्त होता है जबकि बड़े उद्योग शेष ९५ प्रतिशत का योगदान करते हैं। बड़े उद्योगों को चाहिए कि वह अपने लिए सही वैंडर चुनें ताकि जीएसटी भुगतान में परेशानी न आए।

क्षेत्र के सुप्रसिद्ध सी.ए. डा0 राकेश गुप्ता ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा है कि यह अंतरित नहीं फुल बजट कहा जाएगा। इस बजट की विशेषता यह है, इसमें लिया कुछ नहीं बस दिया ही दिया है। इसके लिए इसे वोटों के लिए लोक लुभावन बजट कहा जा सकता है।
डा. गुप्ता ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर सभी देते हैं परंतु प्रत्यक्ष कर (डायरैक्ट टैक्स) के साधन बहुत कम एवं सीमित होते हैं जबकि ७० प्रतिशत टैक्स प्रत्यक्ष कर से ही आता है।
डा. गुप्ता ने कहा कि इस बार तीन मुख्य क्षेत्र को बजट में राहत देने हेतु चुना गया है। पहला क्षेत्र कृषक समाज कहा जा सकता है जो काफी निराश परंतु उत्तेजित था। यह एक सामाजिक मुद्दा भी कहा जा सकता है। अधिक उत्पादन उन्हीं के बावजूद कृषक वर्ग शोषित रहा है। तेलांगना व उड़ीसा ने किसानों की बेहतरी के लिये योजना बनाई। केंद्र को भी मजबूर होकर योजना बनानी पड़ी, ६००० रूपये प्रतिवर्ष ऐसी ही योजना है जिससे १६००० करोड़ किसान लाभान्वित होंगे और इस पर ७५ हजार करोड़ खर्च आएगा।
डा0 गुप्ता ने कहा कि दूसरा क्षेत्र शहरी मध्यम वर्ग कहा जा सकता है जिसको जहां ५ लाख रूपए आयकर से छूट दी गई है। आपने स्पष्ट किया कि रिटर्न सभी को भरनी पड़ेगी।
श्री गुप्ता ने इसे कंजम्शन सैंटर बजट बताते कहा है कि यह इन्वेस्टमैंट सैंटर नहीं है। नोटबंदी व जीएसटी से प्रभावित क्षेत्र को राहत देने का प्रयास किया गया है। डा0 गुप्ता ने कहा है कि इस बजट का तीसरा लाभ उठाने वाला क्षेत्र अनआर्गेनाईज लेवल क्षेत्र कहा जा सकता है। यहां सामाजिक सुरक्षा स्कीम लागू की गई है जिसके अंतर्गत ५५ प्रतिशत प्रति माह जमा कराने उपरांत ६० साल की आयु उपरांत प्रत्येक कामगार को ३०००० रूपया प्रतिमाह पैंशन मिलेगी और १० करोड़ श्रमिक इसका लाभ उठाएंगे।
यदि कहा जाए कि कुछ लाभ रीयल एस्टेट क्षेत्र को भी हुआ है तो गलत नहीं होगा। इसके साथ-साथ २४ घंटे में रिटर्न एवं रिफंड का वादा भले ही दूर का वादा हो परंतु एक कदम तो आगे बढ़ा कहा जा सकता है। वेतनभोगी लोगों को छूट सीमा ४० हजार से ५० हजार करना, एक की बजाए दो मकानों पर छूट देना, अफोर्डऐबिल हाउस स्कीम में टैक्स की छूट, ब्याज पर छूट १० से बढ़ा कर ४० हजार करना, रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये मुद्रा लोन आदि की योजना इस बजट की विशेषता कही जा सकती है।
एफआईए के जी.एस.टी. एवं आयकर पैनल के चेयरमैन श्री टी एम ललानी ने १ फरवरी को पेश होने वाले बजट को एक बदलाव बताया। आपने जीएसटी में डेबिड, क्रेडिट नोट के लिये एक ही इनवायस जारी करने को एक अच्छा कदम बताते हुए कहा कि जीएसटी से लोग प्रसन्न हैं। विभाग ने पूरी तरह सहयोग करते हुए उपभोक्ता के मन से जीएसटी का डर निकाल दिया है।
श्री ललानी ने कहा कि ये कहना ठीक नहीं है कि बजट ने कुछ लिया नहीं है, बोनस की सीमा २१ हजार तय कर उसने उद्योगों से तो ले लिया है। जहां तक रोजगार का प्रश्र है। यूपी, बिहार में संभव है, बेरोजगारी हो परंतु एनसीआर में तो टें्रड श्रमिक मिलते ही नहीं हैं।
फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने सभी का धन्यवाद करते कहा कि उद्योग प्रबंधकों में जो जीएसटी का डर था वह अब निकल चुका है और इसमें योगेन्द्र गर्ग की सोच उल्लेखनीय रही है। यह सही है कि जब तक पूछोगे नहीं उत्तर कैसे मिलेगा और सुधार कैसे आगे बढ़ेगा। श्री खेमका ने कहा कि सुधार हो रहा है परंतु टैक्स कलैक्शन नहीं बढ़ रहा। जीएसटी की दर तभी कम होगी जब कोलैक्शन बढ़ेेगा, इनडायरैक्ट टैक्स बढ़ेंगे क्योंकि कलैक्शन कम होने का यही एक उपाय रह जाता है। सरकार ने यदि एक लाख रूपए करों में छूट व अन्य राहतों में देने का प्रयास किया है तो इससे मांग बढ़ेगी और उद्योगों को भी लाभ होगा।
इस अवसर पर आटो कम्पोनैंट पर २८ प्रतिशत जीएसटी अधिक होने का मुद्दा भी उठाया गया। मंच संचालन एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष श्री सतीश भाटिया ने किया। सर्वश्री एच आर गुप्ता, एच एल भुटानी, नरेंद्र अग्रवाल, राकेश आहुजा और ऋषि अग्रवाल, बी के भुवालका की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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