Saturday, 15 June 2019

फिक्की का सुझाव : रोजगार के लिए पृथक मंत्रालय और कारपोरेट टैक्स में कमी जरूरी




नयी दिल्ली। फैडरेशन आफ इन्डियन चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इन्डस्ट्रीज ने बेरोजगारी को नयी सरकार की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताते हुए रोजगार सृजन के प्रयासों का प्रभावी तरीके से समन्वय करने के लिये एक अलग मंत्रालय बनाने की मांग की।
फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने एक व्यक्तव्य में कहा है कि केन्द्र में श्री नरेंद्र मोदी की सरकार लोकसभा चुनाव में पहले से भी अधिक बहुमत के साथ सत्ता में वापस आयी है, ऐसे में उद्योग जगत को इस सरकार से उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्र की बदहाल स्थिति और रोजगार सृजन समेत मौजूदा चुनौतियों से निपटने तथा अर्थव्यवस्था को तेज वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिये बड़े सुधार किये जाएंगे।
फिक्की अध्यक्ष ने कहा है कि अभी देश में कारोबार करने की लागत काफी अधिक है। ऐसे में अभी रेपो दर को एक से डेढ़ प्रतिशत कम करने तथा सभी कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की दर मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की जरूरत है।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी 2018 को पेश बजट में 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की दर घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। हालांकि 250 करोड़ रुपये से अधिक के कारोाबर वाली कंपनियों को अभी भी 30 प्रतिशत की दर से कॉरपोरेट कर का भुगतान करना पड़ रहा है।
श्री सोमानी ने कहा कि यह सरकार द्वारा सुधार के नये चरण को विशेषकर भूमि, श्रम एवं न्याय जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार किये जाने का समय आ गया है।
   उन्होंने कहा कि न्यूनतम वैकल्पिक कर के ढांचे की भी समीक्षा किये जाने की जरूरत है। अभी यह बहुत अधिक है। इसके साथ ही कारोबार सुगमता के परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिये जीएसटी एवं अन्य कानूनों में प्रशासनिक सरलीकरण की भी जरूरत है।
उन्होंने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में तरलता के संकट का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक के साथ मिलकर सरकार को काम करने की जरूरत पर भी बल दिया।
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