Friday 15 May 2020

केंद्र सरकार का आर्थिक पैकेज सराहनीय परंतु प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता का अभाव : यादव


गुरुग्राम। एनसीआर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, गुरुग्राम एवं देश के अन्य  औद्योगिक संगठनो  और चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया की लगातार की जा रही मांग के बाद एम् एस एम् ई सेक्टर के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा वास्तव में सराहनीय है। इससे निकट भविष्य में अपने उत्पादन फिर से शुरू करने के लिए इस क्षेत्र की कंपनियों को मदद मिलेगी। दूसरी तरफ एमएस एम् ई सेक्टर की उम्मीदों के अनुसार सरकार ने अप्रैल और मई 2020 के महीने के लिए श्रमिकों के वेतन व मजदूरी के भुगतान के लिए इस पैकेज में कोई प्रावधान नहीं की है। मंदी और लॉक डाउन की बंदी के कारण विषम परिस्थिति से जूझ रहे उद्योग और व्यापार प्रतिष्ठानों की प्रमुख मांगों में से यह एक था। वित्त मंत्री द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जाना निराशाजक है। यह विचार एनसीआर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, गुरुग्राम के अध्यक्ष श्री एच पी यादव ने यहाँ जारी  विज्ञप्ति  के माध्यम से व्यक्त की।
श्री यादव का कहना है कि एमएसएमई सेक्टर देश के 11 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया कराता है जिसे भारत सरकार भी स्वीकार करती है, लेकिन जिस राहत पैकेज की घोषणा की गई है उससे सीधे एमएसएमई सेक्टर को अपेक्षित मदद नहीं मिलेगी। अपनी मांग को दोहराते हुए कहा है कि अगर 2 महीने के वेतन और मजदूरी के भुगतान की घोषणा  सरकार ने की तो श्रमिकों को वापस काम पर बुलाना मुश्किल होगा। इससे बेरोजगार श्रमिकों का पलायन बंद नहीं होगा। नतीजन उद्योग धंधे बंद रहेंगे और निकट भविष्य में बेरोजगारी चरम पर होगी। उनका मानना है कि अधिकतर कम्पनियां दयनीय स्थिति में हैं और इसे पुनर्जीवित करने के लिए आर्थिक पैकेज में लॉक डाउन क दौरान के वेतन को भी समावेश करना जरूरी है, अन्यथा उद्योग और व्यापार के लिए श्रमिकों की कमी का सीधा असर रोजगार, रेवेन्यु , निर्यात और आपूर्ति व्यवस्था पर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि एम् एस एम् ई की अधिकतर कम्पनियां गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं. इतने लंबे समय तक बंद होने के कारण, व्यवसायिक गतिविधियाँ ठप्प रहीं. अचानक घोषित लॉक डाउन के कारण भी आर्थिक नुकसान बड़े पैमाने पर हुआ क्योंकि कच्चा माल और तैयार उत्पाद दोनों ही अवरुद्ध हुए। इस व्यवहारिक वास्तविकताओं पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए अन्यथा एम् एस एम् ई के पुनर्स्थापित हुए विना देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाया जाना बेहद कठिन होगा।
एनसीसीआई के अध्यक्ष श्री यादव ने कहा कि सरकार ने एमएसएमई को कोलैटरल फ्री ऋण के लिए पात्र बनाया है यह सकारात्मक कदम है लेकिन  अगले चार वर्षों के लिए यह ब्याज मुक्त होना चाहिए. साथ ही बैंकों को भी बिना किसी देरी के ऋण जारी करनी चाहिए क्योंकि अनुभव बताता है कि ज्यादातर योजनाएं जमीनी स्तर पर ठीक से लागू नहीं हो रही हैं। सरकार की घोषणाओं के अनुरूप वित्तीय संस्थाएं उद्यमियों को सुविधा नहीं देती हैं और अपनी शर्तें थोपती है।
श्री यादव ने बताया कि पूरे हरियाणा में पावर डिस्कॉम ने फिक्स्ड चार्ज को माफ कर दिया है. हमारी मांग थी कि लॉकडाउन की अवधि के लिए एमएसएमई बिजली उपभोक्ताओं से गैर वाणिज्यिक दरों पर शुल्क लिया जाए. लॉक डाउन के दौरान जन कोई भी औद्योगिक व व्यावसायिक कंपनी वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित नहीं कर पाई तो उसका वाणिज्यिक दर  किस आधार पर निर्धारित किया जा रहा है. उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार कम से कम 6 माह के लिए गैर वाणिज्यिक शुल्क ही निर्धारित करे जिससे एम् एस एम् ई सेक्टर के पास फण्ड लिक्विडिटी की स्थिति निर्माण हो सके।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि संपत्ति कर, कॉर्पोरेट कर, टीएल और सीसी, जीएसटी और अन्य करों व ब्याज की वसूली पर स्थगन कम से कम 6 महीने के लिए बढ़ाई जानी चाहिए। पूर्व में रद्द  किए गए जीएसटी पंजीकरण को 30 सितंबर 2020 तक बिना किसी ब्याज / विलंब शुल्क / दंड के बहाली का अवसर भी बढाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एन सी आर चेंबर ने मांग की थी कि एम् एस इम ई को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के छह महीने के लिए 20 प्रतिशत तक अतिरिक्त वर्किंग केपिटल की अनुमति दी जानी चाहिए जबकि सीजीटी एम् एस ई ऋण के मामले में इसे 50 प्रतिशत तक की अनुमति देने का प्रावधान करना चाहिए। श्री यादव ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा घोषित पैकेज में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किए जाने यह सेक्टर निराश है।
श्री यादव ने बताया कि दिल्ली एनसीआर के शहरों में बेरोकटोक आवाजाही होनी चाहिए. राज्यों द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण की स्थिति से उद्योग व व्यवसाय को नुकसान होता है. उनका कहना है कि इस प्रकार की समस्या  पूरे देश में महसूस की जा रही है। गुरुग्राम में काम करने वाले अधिकतर  लोगों को दिल्ली से और यहां तक ​​कि हरियाणा के पड़ोसी जिलों से भी गुरुग्राम आने की अनुमति नहीं मिल रही है। यदि श्रमिकों के निर्बाध आवागमन की अनुमति नहीं होगी, तो उद्योग और व्यापार प्रतिष्ठान को सुचारू रूप से चलाना वास्तव में कठिन होगा।
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