Sunday 10 May 2020

कोरोनावायरस के नाकारात्मक माहौल के बीच अपने भीतर साकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखें : पीयूष गुप्ता


फरीदाबाद। प्रमुख उद्योग प्रबंधक एवं सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय श्री पीयूष गुप्ता ने कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते विश्व भर में बने हालातों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि जहां कोरोनावायरस के नाकारात्मक परिणाम सभी के समक्ष हैं, वहीं आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने भीतर साकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखें।
श्री गुप्ता के अनुसार कोरोना वायरस को यदि चर्चाओं व विवादों से परे प्रकृति द्वारा स्वयं को संतुलित रखने की एक प्रणाली या प्रक्रिया कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
 कोरोना वायरस के कारण पर्यावरण में आए साकारात्मक परिवर्तन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री गुप्ता ने कहा है कि देश की सबसे महत्वपूर्ण नदी 'गंगा' का स्वच्छ होना, दिल्ली व आसपास के शहरों में प्रदूषण मुक्त आसमान ऐसे परिणाम है, जो लॉक डाउन के कारण सामने आए हैं।
 श्री गुप्ता के अनुसार आज आवश्यकता इस बात की है कि हम लाक डाउन के सिद्धांतों की पालना करें, सोशल डिस्टेंस को बनाए रखें और इसके साथ-साथ स्वच्छता के क्रम को बनाए रखें।
श्री गुप्ता के अनुसार हालांकि यह सभी सिद्धांत आदि काल से ही हमारी संस्कृति का आधार रहे है, परंतु कहीं ना कहीं भौतिकतावाद के दौर में हमने इन्हें भुला दिया।
 श्री गुप्ता के अनुसार नमस्कार, वंदना, अध्यात्म व प्रकृति के साथ प्रेम हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है, कोरोना और इसके कारण चल रहा लाक डाउन हमें पुनः संकेत दे रहा है कि हमें अपनी संस्कृति की ओर लौटना होगा।
 आपने विश्वास व्यक्त किया है कि आत्म शक्ति के बल पर भारतीय कोरोनावायरस जैसी महामारी पर काबू पाने में सफल रहेंगे और आने वाले समय में भारत विश्व के सिरमौर के रूप में अपनी पहचान को पुनः सिद्ध करेगा।
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