श्री अग्रवाल के अनुसार वास्तविकता यह है कि इन संस्थानों को अनुमति दिए बिना उद्योग कार्य नहीं कर सकते, ऐसे में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास विफल ही सिद्ध होंगे।
श्री अग्रवाल ने लाक डाउन के दौरान बस सेवा व रेल सेवा को भी आरंभ करने का आग्रह करते हुए कहा है कि श्रमिकों की एक बड़ी संख्या बस व रेल सेवा का प्रयोग करते हैं, ऐसे में इन सेवाओं के बंद होने से श्रमिक काम पर नहीं आ सकते।
श्री अग्रवाल ने बताया कि सरकार द्वारा उद्योग चलाने के लिए अनुमति तो दी गई है, परंतु बाजार बंद है, उद्योगों को रॉ मैटेरियल नहीं मिल पा रहा, रिपेयरिंग व पैकेजिंग कंपोनेट की सप्लाई नहीं हो पा रही और जो श्रमिक अपनी साइकिल को मोटरसाइकिल से संस्थान में आते हैं केवल वही लौट पा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि उद्योगों में कार्य आरंभ नहीं हो पा रहा।
श्री अग्रवाल ने केंद्र व हरियाणा सरकार से आग्रह किया है कि वह इन तथ्यों पर ध्यान दें, ताकि वास्तविक रूप से उद्योगों में कार्य आरंभ हो सके।
श्री अग्रवाल का मानना है कि 30% श्रमिकों के साथ कार्य करने की अनुमति प्रदान की गई है, परंतु वास्तविकता यह है कि यदि श्रमिक वापस काम पर आ भी जाते हैं तो रॉ मैटेरियल ना होने और तैयार उत्पादन को गंतव्य स्थान पर ना पहुंचाने के कारण कार्य करना कठिन ही नहीं असंभव बन रहा है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
श्री अग्रवाल के अनुसार वैज्ञानिक व चिकित्सा वर्ग से जुड़े लोग यह स्वीकार कर रहे हैं कि कोरोनावायरस का अस्तित्व समाज में बना रहेगा, ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि हम इस सच्चाई को जानते हुए कार्य करें।
श्री अग्रवाल ने बताया कि इटली व स्पेन जैसे देशों ने मार खाकर व परेशानियों को झेलकर कोरोना वायरस के साथ रहना स्वीकार किया और उद्योगों में कार्य आरंभ किया गया है।
आपने उदाहरण देते हुए कहा है कि यदि पानी में मगरमच्छ है और हमें विवशता में उसके साथ रहना है और जीवन के लिए पानी पीना है, तो बचाव के साथ रहना ही विकल्प है ना कि हम पानी पीना छोड़ दें क्योंकि यह सर्वविदित तथ्य है कि पानी के बिना हम जी नहीं सकते।
श्री अग्रवाल ने विश्वास किया है कि केंद्र व हरियाणा सरकार उद्योगों की उक्त मांगों पर ध्यान देगी और इस संबंध में ठोस पग उठाए जाएंगे।
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