Tuesday 23 June 2020

कोरोना के इलाज में पतंजलि ने लांच की आयुर्वेदिक औषधि: स्वामी रामदेव लाए 'दिव्य कोरोनिल टैबलेट'


दिल्ली, 23 जून (रैपको न्यूज़/नरेंद्र रजनीकर)। विश्व विख्यात योग गुरु बाबा रामदेव ने आज कोविड-19 के इलाज के लिए 'दिव्य कोरोनिल टैबलेट' को लॉन्च ‌किया। कोरोना की पहली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल के लॉन्चिंग के मौके पर स्वामी रामदेव के साथ आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित थे।
पतंजलि आयुर्वेद की इस औषधि का कोविड-19 मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल के परिणामों की घोषणा भी की गई। स्वामी जी ने बताया कि इस दवा का जिन मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया, उनमें 69 फीसदी मरीज केवल 3 दिन में पॉजीटिव से निगेटिव और सात दिन के अंदर 100 फीसदी रोगी कोरोना से मुक्त हो गए। दवा का प्रयोग 280 लोगों पर किया गया।
स्वामी रामदेव ने कहा कि दवा का सौ फीसद रिकवरी रेट है और शून्य फीसदी डेथ रेट है।
स्वामी रामदेव ने कहा कि पूरा देश इस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था कि कहीं से इसकी दवा मिल जाए। आपने कहा कि आयुर्वेद की पहली दवा पतंजलि ने बना ली है, जो क्लीनिकल कंट्रोल्ड ट्रायल के बाद आज तैयार है।
जानकारी के अनुसार यह औषधि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जयपुर के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। इस दवा का निर्माण दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड हरिद्वार में किया जा रहा है।
 दिव्‍य कोरोनिल टैबलेट के संबंध में बताया गया है कि दवा में शामिल अश्वगंधा कोविड-19 के आरबीडी को मानव शरीर के एसीई से मिलने नहीं देता। इससे संक्रमित मानव शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता। वहीं गिलोय भी संक्रमण होने से रोकता है। तुलसी का कंपाउंड कोविड-19 के आरएनए-पॉलीमरीज पर अटैक कर उसके गुणांक में वृद्धि करने की दर को न सिर्फ रोक देता है, बल्कि इसका लगातार सेवन उसे खत्म भी कर देता है। वहीं श्वसारि रस गाढ़े बलगम को बनने से रोकता है और बने हुए बलगम को खत्म कर फेफड़ों की सूजन कम कर देता है।
ज्ञातव्य रहे कुछ दिन पूर्व आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया था कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान में शोध के सफल परीक्षण के बाद कोविड-19 की आयुर्वेदिक दवा तैयार करने में सफलता मिली है। इसके लिए जरूरी क्लीनिकल केस स्टडी पूरी हो चुकी है, जबकि क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल अपने अंतिम दौर में है।
स्वामी रामदेव ने दवा के लॉन्चिंग अवसर पर दवा से संबंधित जानकारी दी। दूसरी और आचार्य बालकृष्ण के अनुसार दवा में अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस व अणु तेल हैं। यह दवा अपने प्रयोग, इलाज और प्रभाव के आधार पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख संस्थानों, जर्नल आदि से प्रामाणिक है। अमेरिका के बायोमेडिसिन फार्माकोथेरेपी इंटरनेशनल जर्नल में इस शोध का प्रकाशन भी हो चुका है।
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