फरीदाबाद 29 जून। नहर पार ग्रेटर फरीदाबाद किसान संघर्ष समिति अध्यक्ष शिवदत्त वशिष्ठ एडवोकेट ने फ़रीदाबाद के नहर पार के किसानों की अधिग्रहीत जमीन के बदले प्लाट की जाँच सीबीआई से कराने की मांग की है।
किसानो की सेक्टर 9 कार्यालय में आयोजित की गई बैठक में श्री वशिष्ठ ने कहा जिन किसानों की ज़मीन अधिगृहीत हुई है उन सब को हुड्डा ने प्लाट आवंटन नहीं कराए। दो सेक्टर 75 व 80 के लिए लगभग 600 एकड़ ज़मीन विकसित करने के लिए किसानों से यह जमीन अधिगृहीत की गई थी, जिसका अवार्ड 2009 में 16 लाख प्रति एकड़ सुनाया गया था। अधिकारियों ने सेक्टर 75/80 वाले किसान को आउसटी कोटा, लैण्ड पुलिंग पोल्सी में आते ही नहीं है। लैण्ड पुलिंग पोलसी के तहत एक एकड़ ज़मीन वाले किसान को एक हज़ार वर्गगज का प्लाट मिलता है इसी आधार पर जिस किसान की जितनी ज़मीन होती है उसे उसी के आधार पर प्लाट मिलता है अधिगृहीत ज़मीन के बदले प्लाट हासिल करने के लिए 19 गाँव वाले किसानो ने आवेदन किया था और अधिकतर किसानो से आवेदन करने के लिए 50 हज़ार रूपये जमा कराए गए थे
कहा गया है कि अधिकारियों ने कुछ का ड्रा निकालकर वाकी किसानों से रूपये वापिस देने की बात करते रहे। नहर पार ग्रेटर फरीदाबाद किसान संघर्ष सीमित के अध्यक्ष शिवदत्त वशिष्ठ के अनुसार उन्होंने कई बार मामला मुख्यमंत्री के सामने उठाया। अब प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले की सीबीआई जाँच का मन बना लिया तो नहर पार के किसानों ने भी मामले को उठाते हुए फ़रीदाबाद में हुई अधिगृहीत ज़मीन के बदले प्लाट देने घोटाले की जाँच की माँग की है। लैण्ड पुलिंग पोलसी के आधार पर एक एकड़ के बदले एक हज़ार गज का प्लांट व दो सौ वर्ग गज का कमर्शियल प्लाट मिलता है। जब सरकार ने किसानों की ज़मीन 2009 जबरदस्ती अधिगृहीत की थी तो यह क़ानून था जिन किसानों की ज़मीन जिस सेक्टर के लिए इस्तेमाल की गई है उनको उसी सेक्टरों में प्लाट देने का प्रावधान है। सरकार से पूरे हरियाणा में जहां जहां अधिगृहीत ज़मीन के बदले प्लाट देने की जाँच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई है। बैठक में बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।
किसानो की सेक्टर 9 कार्यालय में आयोजित की गई बैठक में श्री वशिष्ठ ने कहा जिन किसानों की ज़मीन अधिगृहीत हुई है उन सब को हुड्डा ने प्लाट आवंटन नहीं कराए। दो सेक्टर 75 व 80 के लिए लगभग 600 एकड़ ज़मीन विकसित करने के लिए किसानों से यह जमीन अधिगृहीत की गई थी, जिसका अवार्ड 2009 में 16 लाख प्रति एकड़ सुनाया गया था। अधिकारियों ने सेक्टर 75/80 वाले किसान को आउसटी कोटा, लैण्ड पुलिंग पोल्सी में आते ही नहीं है। लैण्ड पुलिंग पोलसी के तहत एक एकड़ ज़मीन वाले किसान को एक हज़ार वर्गगज का प्लाट मिलता है इसी आधार पर जिस किसान की जितनी ज़मीन होती है उसे उसी के आधार पर प्लाट मिलता है अधिगृहीत ज़मीन के बदले प्लाट हासिल करने के लिए 19 गाँव वाले किसानो ने आवेदन किया था और अधिकतर किसानो से आवेदन करने के लिए 50 हज़ार रूपये जमा कराए गए थे
कहा गया है कि अधिकारियों ने कुछ का ड्रा निकालकर वाकी किसानों से रूपये वापिस देने की बात करते रहे। नहर पार ग्रेटर फरीदाबाद किसान संघर्ष सीमित के अध्यक्ष शिवदत्त वशिष्ठ के अनुसार उन्होंने कई बार मामला मुख्यमंत्री के सामने उठाया। अब प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले की सीबीआई जाँच का मन बना लिया तो नहर पार के किसानों ने भी मामले को उठाते हुए फ़रीदाबाद में हुई अधिगृहीत ज़मीन के बदले प्लाट देने घोटाले की जाँच की माँग की है। लैण्ड पुलिंग पोलसी के आधार पर एक एकड़ के बदले एक हज़ार गज का प्लांट व दो सौ वर्ग गज का कमर्शियल प्लाट मिलता है। जब सरकार ने किसानों की ज़मीन 2009 जबरदस्ती अधिगृहीत की थी तो यह क़ानून था जिन किसानों की ज़मीन जिस सेक्टर के लिए इस्तेमाल की गई है उनको उसी सेक्टरों में प्लाट देने का प्रावधान है। सरकार से पूरे हरियाणा में जहां जहां अधिगृहीत ज़मीन के बदले प्लाट देने की जाँच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई है। बैठक में बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।
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