Monday 8 June 2020

प्राइवेट बैंकों की नादिरशाह और औद्योगिक संगठनों की चुप्पी से उद्योग प्रबंधक परेशान


फरीदाबाद 8 जून। लॉक डाउन उपरांत सबसे बड़ी परेशानी उन औद्योगिक संस्थानों के समक्ष आई है जिनके खाते निजी (प्राइवेट) बैंकों में है। सरकारी बैंक जहां रिजर्व बैंक एवं प्रधानमंत्री की घोषणा अनुसार अपने ग्राहकों को सुविधा व राहत प्रदान कर रहे हैं, वहीं पर प्राइवेट बैंक इस संबंध में कतई पल्ला झाड़ रहे हैं।
हाल ही में प्राइवेट बैंकों ने अपने खाताधारकों की यह कहते हुए लिमिट कैंसिल कर दी कि जब सेल ही नहीं है तो लिमिट किस लिए चाहिए। इतना ही नहीं लिमिट में प्रयोग किया गया धन भी वापसी के लिए दबाव बना रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार इन बैंक प्रबंधकों का कहना है कि हम अपने बोर्ड का आदेश मानते हैं, रिजर्व बैंक का नहीं।
सरकार द्वारा सीसी लिमिट में 20% की बढ़ोतरी उन्होंने यह कहते हुए दी है कि कोविड-19 के कारण संस्थान को 20% की राशि सहयोग के रूप में दी जा रही है, अर्थात लिमिट शत-प्रतिशत कैंसिल कर 20% देकर यह बैंक अपने को महान सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस समस्या को किसी भी औद्योगिक संगठन, भले वह स्थानीय हो अथवा रीजनल या अखिल भारतीय किसी ने नहीं उठाया। खाताधारक डर के मारे सार्वजनिक रूप से मुंह नहीं खोल रहे परंतु उन्हें उम्मीद है कि कोई संगठन तो उनकी आवाज को उठाएगा।
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