Thursday 16 July 2020

कोविड-19 से उबरने वाली दुनिया में मानसिक बेहतरी पर वेबीनार 18 को


फरीदाबाद, 16 जुलाई। आयुर्वेद एक समग्र चिकित्सा विज्ञान है जिसमें प्रतिरक्षा (व्याधि क्षमता) को मानसिक बेहतरी (सात्विक मानस), अच्छे आहार (आहार) और स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों (विहार) के संयुक्त प्रभावों का परिणाम माना जाता है। इन पहलुओं में से किसी एक में भी असंतुलन होने से हमारे शरीर को संक्रमण की चपेट में आने का खतरा हो सकता है। आज के महामारी के समय संक्रमण अनेक लोगों के लिए घातक बन सकता है।
महामारी के बाद की दुनिया में, वित्तीय घाटे और भविष्य की अनिश्चितताओं के कारण लोगों में तनाव का स्तर बहुत अधिक हो जाएगा। ऐसे माहौल में तनाव एवं चिंता का प्रवेश हमारे मन-मस्तिष्क में हो जाएगा। समय के साथ यह हम सबके लिए चिंता का विषय बन जाएगा। अनुसंधान इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि बहुत अधिक तनाव अगर क्रोनिक रूप ले ले तो यह हमारी प्रतिरक्षा क्षमता पर नाकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा उम्र बढ़ने तथा स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने के कारण इसका जोखिम बढ़ता जाता है।
जीवा आयुर्वेद के निदेशक डा. प्रताप चौहान कहते हैं, ‘‘मानव मन कोमल होता है और अत्यधिक तनाव एवं चिंता का सामना करने के लिए इसे सहारे की जरूरत होती है। आज हम पिछले कुछ महीनों से जिन अभूतपूर्व चुनौतियों का मुकाबला कर रहे हैं वह लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी जारी रहेगी। लॉकडाउन के बाद कार्यस्थलों पर लोगों से अधिक कार्य करने की अपेक्षा की जाएगी और उन पर काम करने का अधिक दवाब होगा ताकि लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। ऐसे समय में आप चाहेंगे कि आपका दिमाग मजबूत हो क्योंकि इसके बिना आपके पास मजबूत प्रतिरक्षा क्षमता नहीं हो सकती है और इसमें आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है।’’
मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने वाले आसान एवं अमल में लाए जा सकने वाले सुझाव एवं विशेषज्ञों के मार्गदर्शन आवश्यक हैं। 18 जुलाई को शाम 5 बजे (भारतीय समय के अनुसार), डा. प्रताप चौहान अत्यंत प्रभावी आयुर्वेदिक उपायों एवं जीवन शैली के उन साधनों के बारे में वैश्विक दर्शकों को संबोधित करेंगे। डा. चौहान वैसे उपाय बताएंगे जिनकी मदद से आप महामारी के बाद की दुनिया में विफलता से बचे रह सकते हैं और कामयाबी हासिल कर सकते हैं।
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