फरीदाबाद 4 जुलाई (रैपको न्यूज़)। लघु उद्योग भारती राष्ट्रीय विंग के सदस्य,लघु उद्योग भारती हरियाणा के उप प्रधान व लघु उद्योग भारती फरीदाबाद के पूर्व प्रधान श्री अरुण बजाज ने एमएसएमई सेक्टर के लिए देश में एक विशेष विभाग के गठन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इस संबंध में सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे लघु उद्योगों को सरकार द्वारा घोषित योजनाओं का लाभ मिल सके।
श्री बजाज के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में देश में उद्यम पंजीकरण की शुरुआत तथा एमएसएमई सेक्टर की परिभाषा में किए गए परिवर्तन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि आवश्यकता इस बात की है कि लघु उद्यमों भारती केंद्रीय कार्यालय द्वारा दिए गए सुझावों को कार्य अमल में लाया जाए ताकि इससे एमएसएमई सेक्टर को वास्तविकता में लाभ मिल सके।
श्री बजाज ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर का पंजीकरण केवल भारतीय स्वामित्व वाले उद्यमों के लिए सुनिश्चित करने तथा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों व सर्विस इंडस्ट्री को अलग रखने, एमएसएमई की नई परिभाषा में वास्तविक निवेश (भूमि भवन व फर्नीचर तथा सेटिंग्स को छोड़कर) राशि को गणना में समाहित करने, निर्यात के टर्नओवर को भी एमएसएमई परिभाषा में समाहित करने का सुझाव लघु उद्योग भारती द्वारा दिया गया है जो कि एमएसएमई सेक्टर के हित में है।
श्री बजाज के अनुसार जिस प्रकार निवेश सीमा बढ़ाई गई है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े एवं मध्यम उद्योगों को छोटा दिखाकर सूक्ष्म व लघु उद्योगों के लिए सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में 25 प्रतिशत की आरक्षित खरीद में सेंध लगवाई जा रही है।
श्री बजाज ने इसके साथ ही एमएसएमई सेक्टर के लिए एक ऐसे विशेष विभाग के गठन की आवश्यकता को दोहराते हुए कहा है कि जो केवल सूक्ष्म व लघु उद्योगों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें और उनकी सहायता तथा विकास में योगदान दे।
कहा गया है कि सूक्ष्म व कुटीर उद्योग की परिस्थितियां मध्यम उद्योगों से अलग हैं ऐसे में लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस नीति को क्रियान्वित किया जाना जरूरी है।
श्री बजाज के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में देश में उद्यम पंजीकरण की शुरुआत तथा एमएसएमई सेक्टर की परिभाषा में किए गए परिवर्तन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि आवश्यकता इस बात की है कि लघु उद्यमों भारती केंद्रीय कार्यालय द्वारा दिए गए सुझावों को कार्य अमल में लाया जाए ताकि इससे एमएसएमई सेक्टर को वास्तविकता में लाभ मिल सके।
श्री बजाज ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर का पंजीकरण केवल भारतीय स्वामित्व वाले उद्यमों के लिए सुनिश्चित करने तथा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों व सर्विस इंडस्ट्री को अलग रखने, एमएसएमई की नई परिभाषा में वास्तविक निवेश (भूमि भवन व फर्नीचर तथा सेटिंग्स को छोड़कर) राशि को गणना में समाहित करने, निर्यात के टर्नओवर को भी एमएसएमई परिभाषा में समाहित करने का सुझाव लघु उद्योग भारती द्वारा दिया गया है जो कि एमएसएमई सेक्टर के हित में है।
श्री बजाज के अनुसार जिस प्रकार निवेश सीमा बढ़ाई गई है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े एवं मध्यम उद्योगों को छोटा दिखाकर सूक्ष्म व लघु उद्योगों के लिए सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में 25 प्रतिशत की आरक्षित खरीद में सेंध लगवाई जा रही है।
श्री बजाज ने इसके साथ ही एमएसएमई सेक्टर के लिए एक ऐसे विशेष विभाग के गठन की आवश्यकता को दोहराते हुए कहा है कि जो केवल सूक्ष्म व लघु उद्योगों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें और उनकी सहायता तथा विकास में योगदान दे।
कहा गया है कि सूक्ष्म व कुटीर उद्योग की परिस्थितियां मध्यम उद्योगों से अलग हैं ऐसे में लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस नीति को क्रियान्वित किया जाना जरूरी है।
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