फरीदाबाद 10 जुलाई (रैपको न्यूज़)। जेसीबी फैक्ट्री के गेट पर कांग्रेसी विधायक द्वारा लगाया गया धरना जारी है। हालांकि कांग्रेस विधायक महोदय एक- आध घंटे के लिए ही आते हैं, देखने वाले कहते हैं कि उनके चेहरे से ऐसे हाव-भाव नजर आते हैं जैसे कोई व्यक्ति हताश होता है।
हैरानी की बात यह है कि जेसीबी कर्मचारियों के नाम पर लगाए गए इस धरने में आरंभ से ही जेसीबी का कोई कर्मचारी नहीं आया। विधायक महोदय ने एक जनरैली का आयोजन भी किया जो बुरी तरह पिट गई। इससे पूर्व निकटवर्ती गांव के लोगों को जेसीबी में नौकरी दिलवाने का झांसा भी एक तरह से बेकार गया क्योंकि अब वहां ग्रामीण भी नहीं आते।
प्राप्त जानकारी के अनुसार निकटवर्ती कंपनी के कुछ श्रमिक अवश्य थोड़े समय के लिए आकर बैठते हैं, जिसके कारण विधायक महोदय की लाज बची हुई है जिस दिन उन्हें भी पता चल गया कि उन्हें सिवाए थोथे आश्वासन के कुछ भी मिलने वाला नहीं है वे भी पल्ला झाड़ लेंगे।
विधायक महोदय द्वारा आयोजित धरने को लेकर एक बड़े श्रमिक नेता ने व्यंग करते हुए कहा कि विधायक महोदय राजनीति छोड़ श्रमिक नेता बनने की चाह में ऐसे भंवर में फंस गए हैं कि उन्हें अब निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा। श्रमिक समस्याएं और उनका समाधान विधायक महोदय की समझ से परे की बात है। उन्हें चाहिए कि अपने क्षेत्र की भलाई और विकास कार्यों की ओर ध्यान दें, अन्यथा ऐसा ना हो दुबे जी चौबे जी बनने निकले थे और ऐके जी होकर वापस लौटे हैं।
हैरानी की बात यह है कि जेसीबी कर्मचारियों के नाम पर लगाए गए इस धरने में आरंभ से ही जेसीबी का कोई कर्मचारी नहीं आया। विधायक महोदय ने एक जनरैली का आयोजन भी किया जो बुरी तरह पिट गई। इससे पूर्व निकटवर्ती गांव के लोगों को जेसीबी में नौकरी दिलवाने का झांसा भी एक तरह से बेकार गया क्योंकि अब वहां ग्रामीण भी नहीं आते।
प्राप्त जानकारी के अनुसार निकटवर्ती कंपनी के कुछ श्रमिक अवश्य थोड़े समय के लिए आकर बैठते हैं, जिसके कारण विधायक महोदय की लाज बची हुई है जिस दिन उन्हें भी पता चल गया कि उन्हें सिवाए थोथे आश्वासन के कुछ भी मिलने वाला नहीं है वे भी पल्ला झाड़ लेंगे।
विधायक महोदय द्वारा आयोजित धरने को लेकर एक बड़े श्रमिक नेता ने व्यंग करते हुए कहा कि विधायक महोदय राजनीति छोड़ श्रमिक नेता बनने की चाह में ऐसे भंवर में फंस गए हैं कि उन्हें अब निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा। श्रमिक समस्याएं और उनका समाधान विधायक महोदय की समझ से परे की बात है। उन्हें चाहिए कि अपने क्षेत्र की भलाई और विकास कार्यों की ओर ध्यान दें, अन्यथा ऐसा ना हो दुबे जी चौबे जी बनने निकले थे और ऐके जी होकर वापस लौटे हैं।
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