Thursday 21 January 2021

एनसीआर चैंबर ने बैंकों द्वारा बकाया ऋण की ब्याज वसूली के दबाव की आलोचना की



गुरुग्राम, 21 जनवरी (Repco News)। एनसीआर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री गुरुग्राम के अध्यक्ष एच पी यादव ने बैंकों द्वारा लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्यमियों पर बकाया ऋण की ब्याज वसूली को लेकर बनाए जा रहे दबाव की तीव्र आलोचना की है।

उन्होंने चैंबर की ओर से देश के प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने  की मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार से ऋण  एवं ब्याज वसूली की रोक की अवधि को दिसंबर 2021 तक बढ़ाने की जोरदार मांग की है। उनका कहना है कि कोविड-19 संकटकाल  से बुरी तरह पस्त हो चुकी एमएसएमई क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयां खस्ता वित्तीय हालात से गुजर रही है, इसलिए आगामी वित्तीय वर्ष के लिए ऋण वसूली पर रोक लगाना इन्हें जीवित रखने और देश में रोजगार की संभावनाओं को बनाए रखने की दृष्टि से भीअति आवश्यक है।

 यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से श्री यादव ने कहा है कि कोविड-19 में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण एमएसएमई सेक्टर के उद्योग का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। केंद्र सरकार ने औद्योगिक संगठनों की ओर से की गई बारंबार मांग के बाद  6 माह के लिए ऋण वसूली पर रोक लगाने की घोषणा की थी। इससे कुछ औद्योगिक इकाइयों को तात्कालिक राहत अवश्य मिली लेकिन इस व्यवस्था को अभी कम से कम 1 वर्ष और बनाए रखने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद स्थिति अभी सामान्य होने में काफी समय लगेगा। औद्योगिक गतिविधियां अभी भी नियमित नहीं हो पाई है। अधिकतर इकाइयों में उत्पादन अभी भी बाधित है। मार्केट में डिमांड  बहुत कम होने के कारण विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन करने वाली कंपनियां बंद है। 

एनसीसीआई अध्यक्ष ने खुलासा किया है कि  रोजगार देने वाले एमएसएमई सेक्टर के हालात से केंद्र और राज्य सरकार अवगत हैं। पिछले माह में अलग-अलग औद्योगिक संगठनों के माध्यम से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी इसके बारे में विस्तार सेजानकारी दी गई है। इसके अनुरूप राहत प्रदान करने के लिए उनसे मांग भी की गई है। इस संबंध में एनसीसीआई की ओर से भी प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर को भी पत्र लिखकर बैंकिंग व्यवस्था में पुन: हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। बावजूद इसके बैंकों की ओर से उद्योगों पर ऋण एवं बकाया व्याज  मार्च 2021 तक जमा कराने का दबाव डाला जा रहा है।  बैंक पत्र के माध्यम से औद्योगिक प्रबंधनों को धमकी भरे लहजे में बकाया ब्याज पर चक्रवृति ब्याज वसूलने की चेतावनी दे रहे हैं। यह सर्वथा अनुचित है और देश में औद्योगिक विकासदर को पुन: पटरी पर लाने के लिए बड़ा बाधक भी है। श्री यादव ने कहा कि एक तरफ बाजार में मांग की कमी तो दूसरी तरफ उत्पादन लागत में बेतहाशा वृद्धि की मार झेल रहे एमएसएमई सेक्टर पर अब बैंकों ने भी अनैतिक दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इससे उद्यमियों के पास अब कंपनी बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। जाहिर है इसका सीधा असर रोजगार की संभावनाओं पर और देश की आर्थिक विकास दर पर भी  पड़ेगा।  इसलिए उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप की मांग करते हुए ऋण एवं बकाया व्याज की वसूली पर  वित्तीय वर्ष 2021- 22  के लिए दिसंबर 2021तक रोक लगाने की घोषणा करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए अन्यथा भारी ऋण के बोझ से  कराह रहे। एमएसएमई सेक्टर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि बैंकिंग व्यवस्था  को भी तभी निरंतरता मिलेगी जब औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों का विकास दरनिरंतर बना रहेगा, अगर उत्पादन इकाइयां बंद पड़ गई तो इससे आर्थिक गतिविधियों  का इकोसिस्टम भी चरमराएगा। लगभग एक साल तक बाधित उत्पादन वाले सेक्टर के लिए सरकारी टैक्स और ऋण का साथ साथ भुगतान करना संभव नहीं है। ऐसे में यह आवश्यक है कि अगले 1 वर्ष के लिए ब्याज वसूली पर रोक लगाई जाए और औद्योगिक प्रबंधन की सुविधा के अनुसार  वसूली के प्रावधान बनाए जाएं।

पोस्ट शेयर करें, कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट करें

Author:

0 comments: