पुराने वाहनो की समस्या व समाधान पर नई वाहन कबाड़ नीति के अनुसार 15 साल पुराने व्यवसायिक वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा यानी उन्हें सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं है। जबकि निजी वाहन (पर्सनल व्हीकल) के लिए इस अवधि को 20 वर्ष तय किया गया है।
लेकिन दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों के लिए यह नियम लागू नही है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का कहना था कि एक डीजल व्हीकल 24 पेट्रोल कारों या 40 सीएनजी व्हीकल्स के बराबर प्रदूषण करता है। जिसके बाद एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर के आरटीओ को ऐसे सभी वाहन डी-रजिस्टर करने का आदेश है।
अगर आपकी गाड़ी दिल्ली-एनसीआर में रजिस्टर है और गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर 15 साल की वैधता लिखी है, तो भी अगर वह डीजल गाड़ी है तो 10 साल और पेट्रोल गाड़ी है तो 15 साल ही चल सकेगी। दिल्ली एनसीआर में राजधानी दिल्ली के अलावा हरियाणा के 13 जिले फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, चरखी-दादरी के साथ भिवानी, महेंद्रगढ़, जिंद और करनाल आते हैं। इन जिलों में भी 10 और 15 साल वाला नियम लागू होगा। अगर आप का डीजल वाहन 10 साल और पेट्रोल वाहन 15 साल की उम्र पूरी कर चुका है तो तुरंत उसे स्क्रैप (समाप्त) करा दें, सड़क पर निकाला तो कार्रवाई होगी।
ऐसे वाहनों को कोई रियायत नहीं मिलेगी और मालिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। जिसमें पकड़े जाने पर गाड़ी जब्त और 10 हजार का जुर्माने का प्रावधान है। इसके बाद भी वाहन सड़क पर नहीं चल सकेगा, उसे स्क्रैप कराना ही होगा।
वाहन मालिक अपने ऐसे वाहनों को स्क्रैप करा लें जिनके परिचालन नहीं हो सकता
प्राइवेट व्यक्ति या कबाड़ी से वाहन को स्क्रैप न कराएं, ध्यान देने की बात यह है कि सरकार से अधिकृत एजेंसियों के अलावा किसी प्राइवेट व्यक्ति या कबाड़ी से वाहन को स्क्रैप नहीं कराएं। यह कानून का उल्लंघन है।
ऐसे वाहनों को दिल्ली-एनसीआर से बाहर दूसरे शहर में बेच सकते हैं। 20 साल वाली नीति दिल्ली-एनसीआर के बाहर लागू है और गाड़ी का खरीदार अगले 10-11 साल तक पुरानी गाड़ी चला सकता है।
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