एचएचपीसीबी , फॉरेस्ट पीडब्ल्यूडी बी एंड आर व संबंधित विभागों के अधिकारियों के बीच समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई। उपायुक्त जितेंद्र यादव ने जिला में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकारों और सभी संबंधित इकाइयों से मिलकर मिशन मोड में काम करने का आह्वान किया। इस अवसर पर विषय के जानकार विशेषज्ञ द्वारा आन लाईन प्रजेटेशन देकर फरीदाबाद में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कार्य योजना, सूक्ष्म कार्य योजना , क्षमता निर्माण,
निगरानी नेटवर्क और स्रोत विभाजन सार्वजनिक आउटरीच, सड़क धूल, निर्माण और विध्वंस, वाहन, उद्योग, अपशिष्ट और बायोमास डंपिंग और जलाना जैसे विषयों पर उपस्थित विभागीय अधिकारियों को इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी देकर जागरूक किया। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के अंतर्गत शहर केन्द्रित कार्य-योजनाओं के कार्यान्वयन के उद्देश्य से चिह्नित प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, शहरी स्थानीय निकायों और प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा इस बारे आवश्यक सुझाव दिये गए। उपायुक्त जितेंद्र यादव ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ वायु’ के विजन को हकीकत बनाने की दिशा में देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकारों और सभी संबंधित विभागों द्वारा ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने सभी से मिशन मोड में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज की बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निकट भविष्य में सम्बंधित क्षेत्रों में वायु प्रदूषण में 20 प्रतिशत तक कमी लाने के विजन के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि भले ही यह आसान कार्य नहीं बल्कि एक कठिन चुनौती है, जिसे हम सभी को मिलकर हासिल करने की जरूरत है।”
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) 2024 तक (आधार वर्ष 2017 के साथ) पार्टिकुलेट मैटर कंसन्ट्रेशन में 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक कटौती के लक्ष्य के साथ समग्र रूप में देश भर में वायु प्रदूषण की समस्या से पार पाने के लिए एक दीर्घकालिक, समयबद्ध, राष्ट्रीय स्तर की रणनीति है। शहरी कार्य-योजनाएं, कई कार्यान्वयन एजेंसियों को जोड़कर बहुआयामी कदमों के माध्यम से मुख्य वायु प्रदूषण स्रोतों पर नियंत्रण के लिए तैयार की गई हैं। समग्र वायु गुणवत्ता नेटवर्क के विस्तार, स्रोत विभाजन अध्ययन, जन जागरूकता, शिकायत समाधान तंत्र और क्षेत्र केन्द्रित कार्य बिंदु इन कार्य योजनाओं का हिस्सा हैं । जिसके सफल कार्यान्वयन के लिए विभाग, एजेंसियों के बीच सहयोग और समन्वय तथा प्रतिष्ठित विशेषज्ञ संस्थानों द्वारा तकनीक पर्यवेक्षण बेहद आवश्यक है।
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