धान से आभूषण बनाने की कला में राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुकी पुतुल दास मित्रा की स्टॉल पर महिलाओं का हुजूम उमड़ा रहता है। लीक से हटकर आभूषण पहनने का शौक रखने वाली महिलाएं न केवल सामान्य दिनों के लिए आभूषण खरीद रही है, बल्कि विवाह जैसे आयोजनों के लिए भी यहां से धान के दाने से बने आभूषण खरीद रही हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1998 में अपने भाई की कलाई पर अलग तरह की राखी बांधने का जुनून सवार हो गया। कई दिनों की मशक्कत के बाद धान के दानों से राखी बनाई। यह सभी को पसंद आई। इसके बाद उन्होंने आभूषण बनाने की शुरुआत की। पहले दिन से ही उन्हें इसका अच्छा रिस्पांस मिला। उसके बाद लगातार वे नई-नई किस्म के आभूषण तैयार कर रही हैं।
पुतुल दास मित्रा ने बताया कि इस कला को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार कि गुरु शिष्य परंपरा योजना के तहत वह विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षण दे चुकी है। उन्होंने बताया कि अब गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम के आभूषणों का क्रेज धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। अब महिलाएं आर्टिफिशियल ज्वेलरी पहनना अधिक पसंद करती हैं। यह आभूषण जितना सरप्राइजिंग फील करवा रहे हैं, उतना ही देखने में आकर्षक भी है। धान से निर्मित आभूषणों के आकर्षक डिजाइन्स देखकर हर कोई हैरान है।
उन्होंने बताया कि आभूषणों को किसी तरह का नुकसान न हो इसके लिए धान के दानों को कैमिकल से ट्रीट किया जाता है। यह आभूषण 5 साल तक खराब नहीं होते। धान के आभूषण बनाने के लिए पूरी तरह नैचुरल चीजों का प्रयोग किया जाता है। इसी कारण इनकी डिमांड भी अधिक होती है। इस कार्य के लिए उन्होंने अपने समूह की 50 महिलाओं को रोजगार दिया हुआ है तथा वे समय-समय पर दूसरे राज्य में प्रशिक्षण देने के लिए जाती हैं।
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