सूरजकुंड (फरीदाबाद), 6 फरवरी। अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला उन दस्तकारों और कारीगरों को भी अवसर प्रदान करता है, जो देश के दूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। इन्हीं में शामिल है भारत के मुकुट कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर से आए हस्तशिल्पी और बुनकर। छोटी चौपाल के समीप स्टाल नंबर 621 पर फहीम, मुमताज और फरहाल पर्यटकों को मौका दे रहे हैं कश्मीर का प्रसिद्घ पेय पदार्थ कहवा पीने का। दालचीनी, केसर, मुलेठी, मेवा, इलायची, चीनी और काहवा पत्ती से इस समावार में गर्म कोयले की आंच में पकाया जाता है। तांबे का बड़ी सुराहीनुमा यह बर्तन भी कलाकृति का एक शानदार नमूना है। इसके बीच में एक पाईप लगा है, जिसमें आंच के लिए कोयला डाला जाता है तथा आस-पास पानी भरा रहता है, जिसमें बनाने की सामग्री डाली जाती है। कहवा पीकर आप स्वयं को तरोताजा महसूस करेंगे। यह चाय से बेहतर पेय है। मुमताज ने बताया कि वह भी कश्मीर से शाल, लेडिज सूट, फेरन, स्टॉल, पुंचु, मफलर आदि लेकर आई हैं। यहां आप कश्मीर के गुलकंद, बादाम, ब्लैक बेरी, ब्लू बेरी, के्रन बेरी, केसर, शिलाजीत, अखरोट आदि ताकतवर मेवों को भी खरीद सकते हैं।
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