प्रोफैशनल्स एथिक्स पर लीगल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेमिनार का आयोजन
फरीदाबाद, 13 मार्च (रैपको न्यूज़/नरेंद्र रजनीकर)। पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के माननीय न्यायधीश बी एस वालिया ने कहा है कि लायर्स वास्तव में समाज का ऐसा अंग है जो कमजोरी को ताकत में बदलने का हौंसला रखता है, जिसे इंसाफ नहीं मिला उसे न्याय दिला सकता हैं और समाज को एक नया रूप व आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं।
यहां मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट में बार काउंसिल आफ पंजाब एंड हरियाणा की लीगल ट्रेनिंग कमेटी द्वारा प्रोफैशनल्स एथिक्स, कोड आफ कांडैक्ट एंड कोर्ट आफ पब्लिक ओपिनियन विषय पर आयोजित लीगल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेमिनार में माननीय न्यायाधीश श्री बी एस वालिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में एथिक्स सच्चाई और मेहनत के साथ काम करने की नीति है, जो हमारे क्लाइंट, कोर्ट और सोसायटी के लिये ही नहीं बल्कि अधिवक्ताओं के लिये भी है। आपने कहा कि समाज को एक वकील नई दिशा दे सकता है और एक जेन्टलमैन पर्सन एक अच्छा वकील होने के साथ-साथ दूसरों के लिये एक आदर्श व डिगनिटी बन सकता है और यह एथिक्स के बिना संभव नहीं है। आपने कहा कि बिना किसी को नाराज किये सही दिशा में ईमानदारी से कार्य एक अधिवक्ता की पहचान है और हमें यही पहचान अपने समाज के समक्ष प्रस्तुत करनी है। श्री वालिया ने विश्वास व्यक्त किया कि सेमिनार न केवल लॉ स्टूडेंट्स बल्कि अधिवक्ताओं के लिये भी काफी साकारात्मक परिणामों वाला सिद्ध होगा।
हरियाणा के लोकायुक्त माननीय न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) श्री हरिपाल वर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते कहा कि एथिक्स के मायने वास्तव में काफी गहरे हैं। श्री वर्मा ने कहा कि वास्तव में एक क्लाईंट अपने अधिवक्ता पर आंखे बंद कर विश्वास करता है और सबसे बड़ी बात यह है कि अधिवक्ता उसके विश्वास को कभी भी आहत नहीं करता। श्री वर्मा ने कहा कि अधिवक्ताओं के लिये एथिक्स जरूरी हैं क्योंकि इसी से उन्हें समाज में सम्मानजनक पहचान मिलती है।
इससे पूर्व मंच संचालन करते हुए बार काउंसिल के महासचिव श्री गुरतेज सिंह ग्रेवाल ने कहा कि लीगल एजुकेशन काफी जरूरी है और इस सेमिनार का उद्देश्य व्यावसायिक नैतिकता, आचार संहिता और जनमत न्यायालय (ईमानदारी, जवाबदेही, अनुपालन और प्रतिबद्धता) को सुनिश्चित करना है। श्री ग्रेवाल ने अधिवक्ताओं से आह्वान किया कि वे वैलफेयर फंड व इंश्योरेंस संबंधी प्रोजैक्ट में अवश्य भागीदार बने। आपने बताया कि इन प्रोजैक्टों के तहत 63 वर्ष तक की आयु तक एक्सीडेंट में मृत्यु पर 5 लाख रूपये व प्राकृतिक मौत पर अधिवक्ताओं के परिजनों को मिल सकता है।
श्री ग्रेवाल ने सेमिनार के लिये लीगल ट्रेनिंग चेयरमैन श्री सुरेंद्र दत्त शर्मा की सराहना करते कहा कि यह कार्यक्रम उन्हीं के प्रयासों से सफल हो सका।
बार काउंसिल के चेयरमैन सुवीर सिद्धू ने अपने विचार व्यक्त करते कहा कि अधिवक्ताओं ने राष्ट्र की प्रगति, देश की स्वतंत्रता के साथ-साथ समाज को नया रूप देने के लिये समय-समय पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रोफैशनल एथिक्स व कोड आफ कंडक्ट को आवश्यक करार देते श्री सिद्धू ने कहा कि इससे ही हमारी पहचान सम्मानजनक बन सकती है और पब्लिक फेथ और मजबूत हो सकती है। श्री सिद्धू ने केस विन करने के साथ-साथ क्लाइंट विन को आवश्यक करार देते कहा कि नालेज और कमिटमेंट जरूरी है। श्री सुरेंद्र दत्त शर्मा की सराहना करते हुए श्री सिद्धू ने कहा कि श्री शर्मा के प्रयासों से फरीदाबाद में यह सफल आयोजन हो सका जोकि वास्तव में एतिहासिक है।
श्री विजय शर्मा ने अपने संबोधन में एथिक्स को आवश्यक प्रिंसीपल करार दिया जबकि श्री महेश वर्मा ने आयोजन के लिये श्री सुरेंद्र दत्त शर्मा की मुक्तकंठ से सराहना की। श्री राजन भाटिया ने अपने संबोधन में अनुशासन को जीवन व प्रोफैशन के लिये आवश्यक करार देते कहा कि इसके बिना कुछ भी संभव नहीं है। श्री डी आर चौधरी ने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे आयोजन भविष्य में भी जारी रहेंगे जबकि श्री एस आर भारद्वाज ने झूठे वायदों से बचने की सलाह वकीलों को दी। श्री राजकुमार ने एथिक्स को रहन-सहन व संस्कृति का अंग बताया कि मोरल वैल्यू को अपनाने का आह्वान किया।
फरीदाबाद बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान श्री संजीव चौधरी ने कहा कि एथिक्स को पहले सिखाया नहीं जाता था बल्कि यह हमारे परिवारों की सोच व विचार धारा का अंग था परंतु आज यह भावनाएं गुम सी हो गई हैं। आपने कार्यक्रम की सराहना करते कहा कि यह एक अच्छी पहल है जिसके लिए श्री सुरेंद्रदत्त शर्मा सराहना के पात्र हैं।
बार काउंसिल के सदस्य श्री सी एम मुंजाल ने एडवोकेट एक्ट 1961 के संबंध में जानकारी देते हुए प्रोफेशनल एथिक्स से संबंधित कई टिप्स उपस्थितजनों को दिए। आपने सैक्शन 6 के तहत अधिकार व वकीलों के लिय जहां प्रीवलेज संबंधी जानकारी दी वहीं नियम 36 के तहत वकीलों द्वारा विज्ञापन न देने के संबंध में भी बताया।
एजुकेशन कमेटी के चेयरमैन हरीश राय ढंडा ने अधिवक्ताओं से आह्वान कि वे एविडेंस लॉ को जरूर पढ़े। आपने कहा कि फीस केस की बजाय क्लाइंट की हैसियत के हिसाब से ली जानी चाहिए और परस्पर विश्वास को बढ़ाया जाना चाहिए।
सभी वक्ताओं ने श्री सुरेंद्र दत्त शर्मा की सराहना करते हुए कार्यक्रम के लिये बार काउंसिल व टैक्स बार एसोसिएशन की सराहना की। वोट आफ थैंक्स श्री प्रताप सिंह ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अधिवक्तागण व फरीदाबाद में कार्यरत जुडिशल अधिकारियों की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
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