सूत्रों की मानें तो सरकार वर्तमान में कंपनियां, फर्म और संस्थाएं पूर्व निर्धारित कानून के हिसाब से श्रमिकों से जुड़ी योजनाओं तथा कार्यों पर काम करने की स्थिति में परिवर्तन चाहती है क्योंकि यह माना जा रहा है कि श्रमिकों के लिये एकीकृत मानक नहीं है, जिनके हिसाब से कार्यस्थल पर उचित व्यवस्था सुनिश्चित कर सकें। नई नीति मानक के तौर पर काम करेगी।
मंत्रालय का मानना है कि यह नीति आने वाले समय में भारत की कार्य संस्कृति को नई दिशा देगी। संगठित और असंगठित क्षेत्र के लाखों श्रमिकों को मुख्यधारा में लाने में मदद करेगी।
श्रम शक्ति नीति-2025 का लक्ष्य केवल रोजगार सृजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर श्रमिक को सम्मानजनक, सुरक्षित और समान अवसरों वाला वातावरण मिले। इस नीति के माध्यम से केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि भारत का श्रम क्षेत्र न केवल उत्पादकता बढ़ाए, बल्कि समावेशी विकास में भी भागेदारी बने।
केंद्र सरकार हितधारकों के सुझाव आने के बाद अंतिम रूप से नीति से जुड़ी अधिसूचना जारी करेगी। माना जा रहा है कि इसे अगले वर्ष की शुरुआत में लागू किया जा सकात है। राज्य सरकारों को भी सलाह दी जाएगी कि वह अपने यहां इसे लागू करें, जिसे श्रमिकों के हितों का ख्याल रखते हुए देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने में मदद मिल सके।
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