Wednesday 20 March 2019

खेडक़ी दौला टाल मुद्दे पर मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री से मिलेगा एनसीआर चैंबर का प्रतिनिधिमंडल


(रैपको न्यूज़ प्रतिनिधि)
गुरूग्राम। सरकार द्वारा बार बार दिये जा रहे आशवासन के बावजूद अभी तक गुरूग्राम व मानेसर के बीच बने खेडकी दौला टोल को अभी तक स्थान्तरित नहीं किये जाने से गुरुग्राम जिला की औद्योगिक एवं व्यावसायिक इकाइयों को कठिनाइयों तथा नुकसान का सामना करना  पड़ रहा है। यह स्थिति उद्योग व व्यवासाय के लिए बाधक ही नहीं हतोत्साहित करने वाली भी है। आश्चर्यजनक रूप  से एक नगर निगम/शहरी क्षेत्र में ही अपने सामान की ढुलाई के लिए एक ही संस्थान को दिन में कई बार टोल देने  पड़ते हैं जबकि टोल  पर लगने वाले लम्बे जाम के कारण अनावश्यक  से अधिक समय लगने से उत्पादकता भी बुरी तरह होती है। प्रदेश सरकार को इस दिशा में तत्काल निर्णय लेना चाहिए और इसे स्थानांतरित कराने की व्यवस्था करनी चाहिए।
यह विचार एन सी आर चैम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री के अध्यक्ष एच  पी यादव ने यहां जारी  प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि श्री यादव को चैम्बर के सैकड़ो सदस्यो तथा अन्य  उद्यमियों  ने  प्रतिदिन खेडकी दौला टोल के कारण होने वाले नुकसान व  परेशानियों से अवगत कराया और इस अति महत्व पूर्ण मामले को  प्रदेश सरकार और स्थानीय सांसद व केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत के समक्ष  प्रमुखता से उजागर करने की मांग की। गुरुग्राम स्थित उद्योग विहार, मानेसर और सोहना के उद्यमियों की इस मांग के  प्रति उन्होंने अपनी सहमति जताते हुए कहा है कि शीघ्र ही से इसको लेकर  प्रदेश के सीएम मनोहर लाल और केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत से मिलेंगे और इस लंबित विषय पर तत्काल निर्णय लेने की मांग करेंगे। श्री यादव के अनुसार चैम्बर द्वारा खेडकी दौला टोल को मानेसर से आगे स्थान्तरित किये जाने की माँग लम्बे समय से की जाती रही है। इस सम्बन्ध में वर्तमान भाजपा सरकार के गठन के तत्काल बाद ही सरकार की ओर से इसका हल निकाले जाने का आश्वासन दिया गया था। पिछले चार वर्षों से भी अधिक समय से लगातार इसके स्थानांतरित करने की तारीख निर्धारित होती रही और हर बार कभी जमीन उपलब्धता तो कभी कोई तकनीकि कारण  बता कर इसे टाला जाता रहा है। ऐसा  प्रतीत होता है कि इस दिशा में अब तक ठोस  प्रयास नहीं किया गया। इससे उद्योग जगत अनावश्यक आर्थिक बोझ उठाने को मजबूर है और टोल  पर अक्सर लगने वाले जाम से स्थानीय उद्योगो को कच्चे माल व तैयार माल को एक यूनिट से दूसरी यूनिट में भी पहुँचाने में नाहक देरी होती है। श्री यादव का कहना है कि गुरुग्राम में अधिकतर आयात व निर्यात करने वाली इकाइयाँ है। टोल  पर लगने वाले जाम के कारण जा पानी, कोरियन, चाईनीज व अन्य विदेशी कम्पनियों के  प्रतिनिधियों  पर विपरीत  प्रभाव  पड़ता है तथा यहाँ से ट्रैफिक जाम की दयनीय तस्वीर साथ ले जाते है। एक ही शहर में एक जगह से दूसरी जगह माल ढुलाई के लिए पूरे दिन इन्तजार करना अव्यवाहारिक ही नहीं गैर जरूरी भी है। उन्होंने बताया कि उद्योग व व्यावसाय के विकास के लिए सुविधजनक ट्रांस पोर्टेशन बेहद अहम्  पहलु है लेकिन गुरुग्राम के उद्योग के लिए यह टोल प्लाज़ा अभिशाप  साबित हो रहा है। हालत यह है कि यहाँ एक तरफ व्यावसायिक वाहन आने को तैयार नहीं होता है जबकि दूसरी तरफ निवेशक भी हतोत्साहित हो रहे हैं। दिल्ली हवाई अडडे से मानेसर तक की दूरी तय करना ही भयावह स्थिति उत्पन्न कर देता है।
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