Thursday 2 May 2019

एफआई के प्रयास रंग लाए : न्यूनतम वेतन पर सर्वाेच्च न्यायालय का निर्णय : उद्योगों को राहत


फरीदाबाद। सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार द्वारा जारी अधिसूचना (दिनांक २१ अक्तूबर २०१५) को निरस्त करते हुये फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में एक रिकार्ड समय में अपना निर्णय देते हुए एसोसिएशन द्वारा उठाये गये सभी एतराज को जायज करार देते उद्योगों को एक बड़ी राहत दी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि न्यूनतम वेतन को नियोक्ता एक्ट के अनुसार घटकों से अलग कर सकते हैं।
फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के एच आर एंड आईआर पैनल के अध्यक्ष श्री एस एस सोरौत के अनुसार इस अधिसूचना को हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई परंतु उच्च न्यायालय ने नवम्बर २०१७ में अपना फैसला राज्य सरकार के पक्ष में दिया, जिसे लेकर एसोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली। विद्धान न्यायधीश एल नागेश्वर राव ने एसोसिएशन की तरफ से वकील विशाल शर्मा, मीरा माथुर  एवं हरविन्दर सिंह की दलीलों को उचित करार देते हुए उक्त निर्णय दिया।
इतना ही नहीं न्यायाधीश महोदय ने अनस्किल्ड श्रमिकों को ५ वर्ष में स्किल्ड एवं सैमीस्किल्ड को २ वर्ष में स्किल्ड मानने पर भी असहमति करार देते हुए इसे अमान्य करार दिया।
एसोसिएशन के कार्यकारिणी निर्देशक कर्नल शैलेन्द्र कपूर के अनुसार अब ट्रेनी का कार्यकाल तय करना भी नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में रहेगा।
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से उद्योग प्रबंधकों ने राहत की सांस ली है। एसोसिएशन के प्रधान श्री संजीव खेमका के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से उद्योगों में न्यायिक प्रणाली के प्रति विश्वास सुदृढ़ हुआ है। उन्हें विश्वास हो गया है कि कोई भी सरकारी अधिकारी अपना मनमर्जी का फैसला उद्योगों पर नहीं थोप सकता क्योंकि संविधान की रक्षक न्यायिक प्रणाली ऐसा नहीं होने देगी। आपने उच्चतम न्यायालय द्वारा एक वर्ष में निर्णय देने की भी सराहना की है।
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