डाकिया मोटरसाइकिल पर डाक बांटने नहीं संभवतय: दर्शन देने आता है
गुरूग्राम। जमाना कितना बदल गया है और भारतीय डाक विभाग कितनी प्रगति कर गया है। यह उद्योग विहार में देखा जा सकता है, जहां डाकिया डाक बांटने मोटरसाइकिल पर आता है।
दिल्ली जैसे सघन क्षेत्र में डाकिया पैदल डाक बांटता है। शेष भारत में अक्सर डाक साइकिल पर बांटी जाती है। कहीं-कहीं आटोसाईकिल का भी प्रयोग होने लगा है। यह सभी डाक वितरण के सही माध्यम करार दिए जाते हैं, परंतु उद्योग विहार में डाकिया मोटरसाईकिल पर आता है और अधिकारीगण स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि वह कैसे डाक बांटता होगा।
क्षेत्र के उद्योग प्रबंधकों एवं श्रमिक प्रमुखों व दुकानदारों का कहना है कि यह महोदय केवल स्पीडपोस्ट या रजिस्ट्री लेकर आते हैं, साधारण डाक उठाना यह अपनी तोहीन मानते हैं। यदि कोई पूछ ले तो इनका उत्तर होता है कि आज मोबाईल युग में कोई चि_ियां लिखता है, यदि किसी समाचार पत्र या पत्रिका के संबंध में पूछा जाता है तो इनका उत्तर होता है जब कोई पढ़ता ही नहीं तो इन्हें बांटने में समय बेकार क्यों किया जाए।
प्रश्र यह उठता है कि क्षेत्र की सामान्य डाक कहां जाती है? क्या उसे बर्बाद या डम्प कर दिया जाता है। कई उद्योग प्रबंधकों, उद्योग संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से उनके यहां कोई सरकार या गैर सरकारी पत्र नहीं आया है। गुडग़ांव के प्रवर डाक अधीक्षक एवं डुंडाहेड़ा डाकघर के डाकपाल महोदय (पोस्टमास्टर) क्या इस पूरे प्रकरण की जांच कराएंगे या उद्योग विहार के लोगों को इस मोटरसाइकिल वाले डाकिये के रहमो करम पर ही छोड़ देंगे।
0 comments: