Thursday 23 April 2020

श्रमिकों के वेतन, उत्पादकता, वित्तीय संसाधन व अनुकूल वातावरण संबंधी निर्णय ही उद्योगों को राहत प्रदान करेंगे :अग्रवाल


फरीदाबाद। इंडस्ट्रियल एरिया वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन एवं फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य श्री एसपी अग्रवाल ने केंद्र व हरियाणा सरकार से कोरोनावायरस विरुद्ध मुहिम के तहत किए जा रहे प्रयासों में जहां उद्योग जगत के लिए प्रभावी व ठोस आर्थिक नीति तैयार करने का आग्रह किया है, वहीं श्री अग्रवाल का मानना है कि इस संबंध में प्राथमिकता के आधार पर श्रमिकों के वेतन के संबंध में आ रही समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।
श्री अग्रवाल के अनुसार सरकार के निर्देशानुसार उद्योग जगत ने मार्च का वेतन श्रमिकों को दे दिया और कुछ ही उद्योग इस स्थिति में हैं कि अप्रैल का वेतन भी श्रमिकों को दे सकते हैं, परंतु उसके बाद उद्योगों के पास आर्थिक रूप से ऐसे संसाधन नहीं हैं, जिससे वे वेतन का भुगतान कर सकें।
 श्री अग्रवाल ने स्पष्ट करते कहा है कि उद्योग वास्तव में क्रमबद्ध रूप से धन को बार-बार निवेश करने व उससे कुछ प्रतिशत लाभ कमा कर शेष राशि पुनर्निवेश करते हैं और वास्तुस्थिति यह है कि उद्योगों के पास माल है, तैयार उत्पादन है, मशीनें हैं, परंतु नगदी नहीं है और जो रिजर्व कैश था, वह वेतन इत्यादि में चला गया।
श्री अग्रवाल के अनुसार आज स्थिति उद्योगों के लिए बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उद्योगों में उत्पादन ठप है और ब्याज सहित जो खर्चे हैं, वह बढ़ रहे हैं। यही नहीं विदेशों में उद्योग चल रहे हैं और वहां निर्यात करने वाले उद्योगों को ऐसे चेतावनी भी मिल रही है कि यदि उत्पादन की आपूर्ति नियमित रूप से नहीं की जाती तो उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है।
श्री अग्रवाल के अनुसार हाल ही में सरकार द्वारा लॉक डाउन के दौरान उद्योग चलाने की साशर्त अनुमति देने की चर्चाएं सामने आई हैं, परंतु इस संबंध में जो शर्तें रखी गई हैं वह निश्चित रूप से परेशानी बढ़ाएगी।
आपने बताया कि श्रमिकों को लाने के लिए बस को आधी क्षमता तक ही प्रयोग करने तथा कार में एक श्रमिक को पीछे बिठाकर लाने संबंधी चर्चाएं हैं, जो कितनी व्यवहारिक हैं यह सभी जानते हैं।
 श्री अग्रवाल का मानना है कि लॉक डाउन वास्तव में कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने का एक अचूक हथियार है, परंतु मौजूदा समय में इससे जो आर्थिक नुकसान हो रहे हैं, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, वास्तविकता यह है कि यदि उद्योग नहीं चलेंगे तो रोजगार कैसे मिलेगा और सरकार को राजस्व कैसे मिल पाएगा और बिना राजस्व तथा रोजगार के समाज में असमंजस की स्थिति बनेगी जिस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।
 श्री अग्रवाल का सुझाव है कि श्रमिकों की वेतन का जिम्मा ईएसआई, श्रम विभाग प्रोविडेंट फंड व सरकार को उठाना चाहिए क्योंकि इनके पास काफी फंड एकत्रित है।
 आपने इसके साथ-साथ उद्योगों में कम से कम 50 प्रतिशत श्रम संख्या से काम कराने की छूट देने का आग्रह किया है।
श्री अग्रवाल का मानना है कि इसके साथ ही बड़े यूनिटों को आरंभ किया जाना चाहिए और बाजार को भी 50 फ़ीसदी तक 50% तक खोला जाना चाहिए। आपने स्पष्ट करते हुए कहा है कि उद्योग का कार्य केवल उत्पादन करना नहीं, बल्कि उस उत्पादन को उपभोक्ता तक पहुंचाना भी है और यदि उपभोक्ता ही नहीं होगा तो उत्पादन का कोई लाभ नहीं।
 श्री अग्रवाल ने विश्वास व्यक्त किया है कि सरकार उक्त सभी तथ्यों पर ध्यान देगी और इससे निश्चित रूप से उद्योग जगत को राहत व प्रोत्साहन मिलेगा।
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