Saturday 2 May 2020

कोविड 19 लाकडाउन में बच्चों ने श्रमिकों को किया नमन


फरीदाबाद। कोविड 19 लाकडाउन के चलते सभी विद्यार्थी ई शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं तथा साथ ही अपने सामान्य ज्ञान को भी विकसित कर रहे है। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद के बच्चे जूनियर रेड क्रॉस, गाइडस, सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड और इको एन स्पोर्ट्स क्लब के माध्यम से अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास कर रहें हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि ई लर्निंग के बाद के समय को बच्चे विभिन्न महत्वपूर्ण दिवस के इतिहास आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर कलाकृति, पेंटिंग और स्लोगन के माध्यम से और विशेष रूप से अपने प्राध्यापकों के कुशल मार्गनिर्देशन में अपना सामान्य ज्ञान में वृद्धि कर रहे हैं प्रधानाचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि आज 1 मई के दिन को विश्व के अधिकांश देशों ने मेहनतकश श्रमिकों के नाम पर समर्पित कर रखा है। इसे मई दिवस, मे डे, मजदूर दिवस, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस आदि अनेकों प्रकार के भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है। भारत में श्रमिक दिवस पहली बार 1 मई सन् 1923 को मनाया गया था। तब भारतीय मजदूर किसान पार्टी ने मद्रास में इसे जोरशोर से मनाया था। आज विश्व के 80 से अधिक देश में इस अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश रखकर उस दिन को मजदूरों के नाम समर्पित किया जाता है। विश्व के कुछ देशों में इसे अलग-अलग दिवसों में भी मनाये जाने का चलन है। कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अपनी श्रम शक्ति को बेचकर रोजगार प्राप्त करके अपना जीवन यापन करता है तो वह एक मजदूर है। वैसे हमारे देश में औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की परिभाषा के अनुसार यह फैसला किया जाता है कि कौन मजदूर है। औद्योगिक विवाद अधिनियम के धारा 2 (एस) में मजदूर की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है- मजदूर प्रशिक्षु सहित कोई भी ऐसा व्यक्ति है जो मजदूरी या वेतन के बदले, किसी उद्योग में शारीरिक, अकुशल, कुशल, तकनीकी, कार्यकारी, क्लर्क या सुपरवाइज़र का काम करता हो, चाहे काम की शर्तें स्पष्ट या अन्तर्निहित हों वह मजदूर है। एन एच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेड क्रॉस तथा सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड की छात्राओं ने सुंदर ई पोस्टर बना कर श्रमिकों के देश को उन्नत बनाने के योगदान को नमन किया। विद्यालय की अंग्रेजी प्राध्यापिका शर्मीला मेम का बच्चों को मार्गनिर्देशन में विशेष योगदान रहा और प्रधानाचार्य ने बच्चों और अध्यापकों के श्रमिकों के प्रति आभार व्यक्त करने के प्रयासों को नमन किया तथा कहा कि हम अपने श्रमिकों के उपकार का ऋण कभी नहीं चुका सकते।
पोस्ट शेयर करें, कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट करें

Author:

0 comments: