Monday 18 May 2020

श्रमिकों को वेतन देने हेतु आर्थिक पैकेज घोषित करने का आग्रह: एनसीआर चैंबर पंहुचा सुप्रीम कोर्ट: सुनवाई 22 मई को


गुरुग्राम 18 मई। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एनसीआर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से दायर औद्योगिक कंपनियों को सरकार की ओर से आर्थिक राहत दिलाने संबंधी याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। चेंबर की यह याचिका गत 15 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 22 मई को होगी । यह जानकारी एनसीआर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री गुड़गांव के अध्यक्ष एस यादव ने यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।
श्री यादव ने बताया कि एनसीआर चेंबर की ओर से भारत सरकार और राज्य सरकार के समक्ष निरंतर एमएसएमई कंपनियों को आर्थिक मदद देने की मांग निरंतर की जा रही है। एन सी सी आई यह चाहता है कि लॉक डाउन की अवधि का वेतन श्रमिकों को केंद्र सरकार की ओर से दिया जाना चाहिए क्योंकि अधिकतर एमएसएमई इकाइयों की स्थिति बदहाल है। पहले मंदी की मार ने इस सेक्टर को झटका दिया और अब लॉक डाउन की बंदी ने इसके अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है। उनकी मांग पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने अबतक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है जबकि इसके विपरीत कंपनी प्रबंधकों पर लॉक डाउन की अवधि के वेतन श्रमिकों और मजदूरों को देने का दबाव बनाया जा रहा है।
श्री यादव के अनुसार इस स्थिति से उबरने के लिए एनसीआर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्यों के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसलिए चेंबर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार को एमएसएमई सेक्टर के लिए श्रमिकों को वेतन देने की दृष्टि से आर्थिक पैकेज घोषित करने का निर्देश देने की गुजारिश की गई है। चेंबर की ओर से उक्त याचिका सुप्रीम कोर्ट की वकील एडवोकेट हर्षिता कुमार और एडवोकेट साक्षी महाले ने दायर की है।
श्री यादव ने बताया कि उक्त याचिका में लोक डाउन के पीरियड के लिए श्रमिकों व मजदूरों को पूर्ण वेतन एवं मजदूरी देने संबंधी भारत सरकार और हरियाणा सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने अदालत से केंद्र सरकार को एमएसएमई सेक्टर के लिए आर्थिक पैकेट में टैक्स बेनिफिट ब्याज रहित ऋण और मासिक इंस्टॉलमेंट्स को भी ब्याज रहित करने के साथ-साथ अन्य प्रकार के राहत पैकेज घोषित करने संबंधी निर्देश देने की गुहार लगाई है। याचिका में ऋण पर लंबित अवधि की दृष्टि से ब्याज लगाने एवं वर्किंग कैपिटल सुविधा तथा कैश और क्रेडिट सुविधा जो 3 माह के लिए स्थगित करने का ऐलान किया गया है के संबंध में भी केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है।
एनसीसीआई अध्यक्ष एचपी यादव का कहना है कि केंद्र सरकार हमेशा जर्मनी यूके यूएसए और यूएई देशों में लागू व्यवस्था का उदाहरण देती है इसलिए वहां इस संबंध में उठाए जा रहे कदमों का अनुसरण भारत सरकार को भी करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि उन देशों में लॉक डाउन की अवधि के वेतन में से 66% से 90% भाग वहां की सरकारों द्वारा भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि केंद्र सरकार की ओर से घोषित आर्थिक पैकेज में पीएफ और ईएसआई को लेकर जो शर्तें निर्धारित की गई है उसके अनुरूप सीमित संख्या में ही कंपनियों को फायदे होंगे।
श्री यादव ने कहा कि गत 14 मई को केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज में टैक्स में छूट वेतन और मजदूरी संबंधी कोई प्रावधान नहीं किया गया है। एमएसएमई के लिए ब्याज सहित ऋण देने का ऐलान किया गया है जो इस सेक्टर को लंबी अवधि के लिए राहत देने वाली योजना नहीं हो सकती और ठीक 1 साल बाद यह उन कंपनियों के गले का फांस बन जाएगा उनका कहना है कि ऋण ब्याज मुक्त करना चाहिए।
श्री यादव ने उम्मीद जताई कि देश की सर्वोच्च अदालत से एमएसएमई सेक्टर को बड़ी राहत मिलने की आशा है जो लंबे अरसे से आर्थिक बदहाली से परेशान है। उनकी इस याचिका पर अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 22 मई को होना निर्धारित है।
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