Wednesday 10 June 2020

कोरोना से 35% तक नुकसान तय, स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय चरित्र की भावना व सभी वर्गों की भागीदारी जरूरी :अग्रवाल


फरीदाबाद, 10 जून। फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान श्री नरेंद्र अग्रवाल ने कोरोना वायरस के मद्देनजर समाज के सभी वर्गों से आह्वान किया है कि वे आने वाली स्थिति को समझें और उसके अनुरूप ही अपनी भावी योजना बनाएं।
श्री अग्रवाल के अनुसार मौजूदा समय में जिस प्रकार हालात बने हुए हैं, उससे साफ है कि इस वित्तीय वर्ष में कम से कम एक तिहाई उत्पादन व खपत में कमी आएगी और उसका प्रभाव सभी वर्गों पर पड़ेगा।
श्री अग्रवाल के अनुसार आने वाले समय में जहां श्रमिकों को अपने वेतन से संबंधित समस्याओं से जूझना होगा, वहीं उद्योगों को उत्पादन की खपत तथा उत्पादकता के लिए एक लड़ाई लड़नी होगी। यही नहीं यह हालात केवल उद्योगों तक ही सीमित नहीं होंगे बल्कि समाज के सभी वर्ग इससे प्रभावित होंगे।
श्री अग्रवाल ने स्कूलों का उदाहरण देते हुए कहा है कि स्कूलों में भी ऐसी ही स्थिति रहेगी। आपने स्पष्ट करते कहा है कि आने वाले समय में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज करेंगे और फीस को लेकर भी उनकी यही धारणा रहेगी, जिससे स्कूलों की फीस का अनुपात भी कम होगा।
 श्री अग्रवाल के अनुसार इससे अध्यापकों का वेतन और स्कूल में इंफ्रास्ट्रक्चर सहित सभी चीजें प्रभावित होना स्वाभाविक है। आपका मानना है कि ऐसी स्थिति में समाज के सभी वर्गों को राष्ट्रीय चरित्र पर ध्यान देना होगा और इस तथ्य पर फोकस केंद्रित करना होगा कि वह दूसरे के साथ भी वैसा ही व्यवहार करें, जैसी उन्हें अपने लिए उम्मीद है।
श्री अग्रवाल के अनुसार हमें इस बात पर विचार करना होगा कि 35% काम में कमी और उत्पादकता में कटौती के साथ-साथ उत्पादन की खपत का कम होना वास्तव में एक बहुत बड़ी चुनौती है, जिससे सभी वर्ग प्रभावित होंगे।
श्री अग्रवाल का मानना है कि ऐसी स्थिति में संबंधित वर्गों को परेशानियां बढ़ाने की बजाए आगे बढ़कर योगदान देने की भावना को विकसित करना होगा।
कहा गया है कि कोरोना वायरस वास्तव में एक प्राकृतिक आपदा है, जिसके लिए वह वर्ग जिम्मेवार नहीं जो इसका शिकार हो रहा है, ऐसे में हमें मिलजुलकर इसके दुष्प्रभावों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा और इस बात को ध्यान में रखना होगा कि कोरोना का प्रभाव केवल हमारे स्वास्थ्य तक नहीं, बल्कि हमारी पूरी व्यवस्था पर पड़ रहा है, जिसे परस्पर एकजुटता से ही निपटा जा सकता है।
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