दिल्ली 17 जुलाई। एनसीआर और देश के अन्य हिस्सों में बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों के मददेनजर दिल्ली में सभी इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराना अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस आशय का आदेश वेबसाइट पर डाला है फिलहाल यह आदेश सन 2001 तक बनी सभी सरकारी, गैर सरकारी, निजी इमारतों पर लागू होगा। दिल्लीवासियों को छह माह में ऑडिट की रिपोर्ट भी डीडीए को जमा करानी होगी। जिन इमारतों का ऑडिट नहीं होगा, उनकी सूची वेबसाइट पर डाल उनके मालिकों के खिलाफ कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। राजधानी से प्रकाशित एक समाचार पत्र के अनुसार डीडीए ने यह आदेश मार्च 2016 से प्रभावी हुए भवन उप नियमों में वर्णित प्रावधानों के तहत हाइ कोर्ट के निर्देश पर जारी किया है। जारी आदेश में 21 मार्च 2001 तक बनी 15 मीटर या इससे ऊंची प्रत्येक इमारत का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराना अनिवार्य किया गया है। यह ऑडिट किसी भी मान्यता प्राप्त सरकारी संस्थान के स्ट्रक्चरल इंजीनियर से कराना होगा। इस ऑडिट में देखा जाएगा कि इमारत कहां से कितनी मजबूत और कितनी कमजोर है। ऑडिट में संबंद्ध इमारत की खामियां दूर करने के लिए जो सुझाव दिए जाएंगे, उन पर अमल भी करना अनिवार्य है।
इस आदेश के मुताबिक यह सारी प्रक्रिया छह माह में पूरी की जानी है। स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने एवं इमारत की खामियां दुरूस्त कराने पर जो खर्चा आएगा, वह भी उस इमारत के मालिक द्वारा ही वहन किया जाएगा। प्रक्रिया पूरी करने के बाद स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट और उसके आधार पर कराए गए सुधार की जानकारी डीडीए के उप निदेशक (भवन, एल एंड आइ, रेजीडेंशियल) और उप निदेशक (भवन, सी एंड आइ) को जमा करानी होगी। जिन इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं कराया जाएगा, उनकी सूची तय समयावधि के बाद डीडीए की वेबसाइट पर डाल दी जाएगी। इन इमारकों के मालिक पर जुर्माना लगाने सहित अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। 2001 के बाद बनी इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट उनकी उम्र 30 साल पूरी होने पर कराना होगा। समाचार के अनुसार पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की रिपोर्ट की माने तो यमुना के मैदानों को भूकंप से ज्यादा खतरा है। पूर्वी दिल्ली, लुटियंस दिल्ली, सरिता विहार, पश्चिम विहार, वजीराबाद, करोलबाग और जनकपुरी जैसे इलाकों में बहुत आबादी रहती है, इसलिए वहां खतरा ज्यादा है। छतरपुर, नारायणा, वसंत कुंज जैसे इलाके बड़ा भूकंप झेल सकते हैं, क्योंकि यहां पर इसके अलावा दिल्ली में जो नई इमारतें बनी हैं, वे 6 से 6.6 तीव्रता के भूकंप को झेल सकती हैं। पुरानी इमारतें 5 से 5.5 तीव्रता का भूकंप सह सकती हैं।
इस आदेश के मुताबिक यह सारी प्रक्रिया छह माह में पूरी की जानी है। स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने एवं इमारत की खामियां दुरूस्त कराने पर जो खर्चा आएगा, वह भी उस इमारत के मालिक द्वारा ही वहन किया जाएगा। प्रक्रिया पूरी करने के बाद स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट और उसके आधार पर कराए गए सुधार की जानकारी डीडीए के उप निदेशक (भवन, एल एंड आइ, रेजीडेंशियल) और उप निदेशक (भवन, सी एंड आइ) को जमा करानी होगी। जिन इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं कराया जाएगा, उनकी सूची तय समयावधि के बाद डीडीए की वेबसाइट पर डाल दी जाएगी। इन इमारकों के मालिक पर जुर्माना लगाने सहित अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। 2001 के बाद बनी इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट उनकी उम्र 30 साल पूरी होने पर कराना होगा। समाचार के अनुसार पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की रिपोर्ट की माने तो यमुना के मैदानों को भूकंप से ज्यादा खतरा है। पूर्वी दिल्ली, लुटियंस दिल्ली, सरिता विहार, पश्चिम विहार, वजीराबाद, करोलबाग और जनकपुरी जैसे इलाकों में बहुत आबादी रहती है, इसलिए वहां खतरा ज्यादा है। छतरपुर, नारायणा, वसंत कुंज जैसे इलाके बड़ा भूकंप झेल सकते हैं, क्योंकि यहां पर इसके अलावा दिल्ली में जो नई इमारतें बनी हैं, वे 6 से 6.6 तीव्रता के भूकंप को झेल सकती हैं। पुरानी इमारतें 5 से 5.5 तीव्रता का भूकंप सह सकती हैं।
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