Monday 6 July 2020

एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज फरीदाबाद का पहला प्लाज्मा थेरेपी ट्रीटमेंट


फरीदाबाद, 6 जुलाई। 37 वर्षीय जितेंदर मट्टा एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज अस्पताल में 25 जून को बुखार, खांसी, जुखाम, कमजोरी व् सांस लेने में दिक्कत के साथ आए, इनका कोविड टेस्ट करवाया गया जोकि पॉजिटिव आया था I
इसको बलगम में खून और सांस लेने में दिक्कत के चलते एशियन अस्पताल के डॉक्टरों ने उनका छाती का एक्स-रे करवाया जिसमें उन्हें निमोनिआ निकला, जितेंदर मट्टा  को  कोविड वार्ड में भर्ती कर डॉक्टरों ने उनका इलाज शुरू किया लेकिन ऑक्सीजन लेवल में कोई सुधार नहीं हुआ  जिसके चलते 29 जून को उन कोविड आईसीयू  में शिफ्ट किया गया I
एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के श्व्सन रोग विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ, मानव मनचंदा ने बताया की जितेंदर मट्टा के  फेफड़ो में निमोनिआ बन गया तो उनके शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगी तबियत में सुधार न होने पर 1जुलाई को हमने उनकी जान बचने के लिए ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा चढ़ाने का निर्णेय किया।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी ?
प्लाज्मा थेरेपी का उद्देश्य ठीक हुए कोविड मरीज के रक्त से एंटीबाडीज का उपयोग करके कोविड वायरस से गंभीर रूप से ग्रस्त मरीजों का इलाज किया जाता है I एशियन अस्पताल के लैब विभाग की हेड डॉ. उमा रानी  ने बताया कि 400ML प्लाज्मा से 2  मरीजों का इलाज किया जा सकता है I
प्लाज्मा थेरेपी देने के दूसरे ही दिन जितेंदर मट्टा कि तबियत में पूरी तरह सुधार होने लगा और 5 दिन बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया फिहाल डॉक्टरों ने उन्हें कुछ और दिन आइसोलेशन में रेहने की सलाह दी है I
एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के चेयरमैन एवं निदेशक डॉ. एन के पांडेय ने बताया कि हमें बेहद ख़ुशी है कि एशियन  में भी प्लाज्मा थेरेपी शुरू हो गयी है जिससे अब हम कोरोना के गंभीर रूप से ग्रस्त मरीजों का इलाज कर पाएंगे में डॉ. मानव मनचंदा, डॉ. राजेश बुद्धिराजा एवं डॉ. पृथा नय्यर, लैब विभाग से डॉ. उमा रानी व् ब्लड बैंक की पूरी टीम और नर्सिंग टीम का आभार व्यक्त करता हूँ कि वे दिन रात अपनी जिंदगी कि परवाह किए  कोविड मरीजों का इलाज कर रहे हैं I
पोस्ट शेयर करें, कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट करें

Author:

0 comments: