Friday 17 July 2020

अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस पर एसजेएबी का जागरूकता अभियान


फरीदाबाद 17 जुलाई। विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की एसजेएबी और जे आर सी ने प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा और डीएलएसए के सहयोग से वर्चुअल जागरूकता  अभियान चलाया। ब्रिगेड प्रभारी व प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पूरे विश्व में हर वर्ष 17 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय को बढ़ावा देना है और आईसीसी के कार्य का समर्थन करना है। अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय दिवस के नाम से भी जाना जाता है।जेआरसी काउन्सलर रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि इस दिवस को मनाने का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्याय की उभरती हुई प्रणाली को पहचानना है।‍
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का प्रधान न्यायिक अंग है और इस संघ के पांच मुख्य अंगों में से एक है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणा पत्र के अंतर्गत हुई है इसका उद्घाटन अधिवेशन 18 अप्रैल 1946 को हुआ था। इस न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय की जगह ली है न्यायालय हेग में स्थित है और इसका अधिवेशन छुट्टियों को छोड़ सदा चलता रहता है। न्यायालय के प्रशासन व्यय का भार संयुक्त राष्ट्रसंघ वहन करता है 1980 तक अंतर्राष्ट्रीय समाज इस न्यायालय का ज़्यादा प्रयोग नहीं करता था, अब अधिक देशों ने, विशेषतः विकासशील देशों ने, न्यायालय का प्रयोग करना शुरू किया है। फ़िर भी, कुछ देश हर निर्णय को निभाने का खुद निर्णय लेते है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में समान्य सभा द्वारा 15 न्यायाधीश चुने चाते है। ये न्यायाधीश नौ साल के लिए चुने जाते है और फ़िर से चुने जा सकते है। हर तीसरे साल इन न्यायाधीशों में से पांच पुनः चुने जा सकत्ते है।
न्यायालय को परामर्श देने का क्षेत्राधिकार भी प्राप्त है। किसी ऐसे पक्ष की प्रार्थना पर, जो इसका अधिकारी है किसी भी विधिक प्रश्न पर अपनी सम्मति दे सकता है। न्यायालय की प्राधिकृत भाषाएँ फ्रेंच तथा अंग्रेजी है। विभिन्न पक्षों का प्रतिनिधित्व अभिकर्ता द्वारा होता है वकीलों की भी सहायता ली जा सकती है। न्यायालय में मामलों की सुनवाई सार्वजनिक रूप से तब तक होती है जब तक न्यायालय का आदेश अन्यथा न हो। सभी प्रश्नों का निर्णय न्यायाधीशों के बहुमत से होता है। सभापति को निर्णायक मत देने  का अधिकार है। न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है, उसकी अपील नहीं हो सकती किंतु कुछ मामलों में पुनर्विचार हो सकता है प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा, प्राध्यापिका सोनिया बमल, शर्मीला और सोनिया शर्मा ने वर्चुअल जागरूकता के लिए छात्रा प्रियलता, रागिनी और प्रिया को प्रथम, द्वितीय और तृतीय घोषित किया।
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