Friday 18 December 2020

बादशाह खान अस्पताल का नाम बदला जाना भाजपा सरकार का अनुचित फैसला : अशोक अरोड़ा



फरीदाबाद 18 दिसंबर (Repco News)। राज्य सरकार द्वारा फरीदाबाद जिले के सबसे पुराने बादशाह खान (बीके) अस्पताल का नाम बदल कर वर्तमान में इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई सिविल अस्पताल के नाम कर दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा मंगलवार को अस्पताल का नाम बदलने को लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। पूर्व मेयर अशोक अरोड़ा ने राज्य सरकार द्वारा फरीदाबाद के बादशाह खान (बी.के.) अस्पताल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखे जाने के फैसले को एक अनुचित कदम बताया है। उन्होंने बताया कि बादशाह खान (बी.के.) अस्पताल के नाम परिवर्तन को लेकर भारत के राष्ट्रपति राम गोविंद, प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम जिला उपायुक्त यशपाल यादव को एक ज्ञापन भी सोंपा है, जिसमें फरीदाबाद जिले के वर्षों पुरानेे शहर का मुख्य बादशाह खान (बीके) अस्पताल के नाम को परिवर्तित ना किया जाए और उसके साथ जो एक पुरानी बिल्डिंग जोकि जर्जर हालत में हो चुकी हैओर किसी भी वक्त यहां कोई भी हादसा हो सकता है। श्री अरोड़ा ने ज्ञापन के माध्यम से राज्य व प्रदेश सरकार को एक सुझाव भी दिया कि अगर सरकार चाहे तो उस पुरानी जर्जर बिल्डिंग नव निर्माण करवा कर उसका नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के नाम रख सकती है। जहां इस जर्जर बिल्डिंग की खस्ता हालत भी सुधर जाएगी और फरीदाबाद जिले को दो सरकारी हस्पताल उपलब्ध भी होंगे। उन्होंने कहा कि आज भाजपा सरकार में वर्तमान परिस्थिति यह बनी हुई है कि आज फरीदाबाद जिला हर मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। जिसे विकास की जरूरत है।  अस्पताल के नाम को लेकर उन्होंने बताया कि बादशाह खान वर्षों पुराना शहर का मुख्य अस्पताल है और लोग इसे बादशाह खान (बी.के.) अस्पताल के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने बताया कि विभाजन के समय पाकिस्तान से यहां बड़ी संख्या में शरणार्थी आए थे। तब प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 5 जून 1951 को शरणार्थियों के लिए एक अस्पताल बनवाया। जिसे पूर्व स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल गफ्फार बादशाह खान के नाम पर रखा गया था। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा अस्पताल का नाम बदला जाना मैं समझता हूं कि अनुचित फैसला है। क्योंकि जिले के इस अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पहले ही असमर्थता जताई जाती रही है। आज जब शहर के लोगों को मेडिकल सुविधाएं चाहिए, नए डॉक्टर्स चाहिए, मेडिकल स्टाफ चाहिए, आधुनिक उपकरण चाहिए, तो सरकार नाम बदलकर काम चला रही है। लोगों को काम चाहिए, ताकि उनका भला हो सके ना की नाम बदलने से किसी का भला होगा।

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