इस संबंध में जानकारी देते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि देश में पिछले दो वर्षों से चल रहे कोरोना संकट का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है और इससे भारी भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, वित्तीय और सामाजिक संकट पैदा हुआ है। विश्वविद्यालय ने अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताओं के रूप में ऐसे विद्यार्थियों की मदद करने की जिम्मेदारी ली है। परिवार में अपने कामकाजी माता या पिता को खो देने के कारण ऐसे विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई को आगे जारी रख पाना बेहद मुश्किल हो गया है। इसलिए, विश्वविद्यालय ने ऐसे विद्यार्थियों के लिए अलग से सीट का प्रावधान करने तथा ट्यूशन फीस माफ करने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान भी विश्वविद्यालय ने आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद विद्यार्थियों को शत प्रतिशत तक ट्यूशन फीस माफ करने अथवा प्रतिपूर्ति करने की नीति लागू की थी। इस नीति का वित्तीय लाभ 153 विद्यार्थियों ने उठाया। इसके अलावा, छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालय सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए भी एक अतिरिक्त सीट की पेशकश कर रहा है।
इस पहल के बारे में विस्तार से बताते हुए निदेशक दाखिला डॉ मनीषा गर्ग ने बताया कि विश्वविद्यालय में यूजीसी द्वारा अनुमोदित सभी पाठ्यक्रमों में कोरोना से प्रभावित विद्यार्थियों के लिए एक अतिरिक्त सीट जोड़ी गई है। अतिरिक्त सीटों पर दाखिले के लिए विद्यार्थियों को 25 सितंबर, 2021 तक विश्वविद्यालय की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिसके लिए पंजीकरण शुल्क केवल 100 रुपये रखा गया है, जोकि अन्य विद्यार्थियों के लिए 1000 रुपये है। विश्वविद्यालय की इस पहल से जुड़ते हुए दाखिला पोर्टल कंपनी नोपेपरफार्म डाॅट काॅम ने भी ऐसे विद्यार्थियों के लिए 75 रुपये का प्रोसेसिंग शुल्क माफ कर दिया है।
डॉ. गर्ग ने कहा कि अतिरिक्त सीटों पर दाखिले के लिए केवल ऐसे विद्यार्थी ही पात्र होंगे जो दाखिले के लिए योग्यता रखते हो। उन्हें अपने कामकाजी अभिभावक की मृत्यु का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना होगा, जिसमें यह उल्लेख हो कि उनकी मृत्यु कोविड महामारी से हुई है। साथ ही, विद्यार्थी को एक शपथ पत्र भी देना होगा कि कामकाजी पिता अथवा माता की मृत्यु के उपरांत उसका अन्य अभिभावक इस समय रोजगार में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लाभ शैक्षणिक सत्र 2021-22 में दाखिला ले रहे विद्यार्थियों को दिया जायेगा।
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