Thursday 20 December 2018

ईएसआई हस्पतालों को एम्स की तर्ज पर विकसित करने का सुझाव


नयी दिल्ली। संसद की एक समिति ने श्रम मंत्रालय को स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क कर ईएसआईसी अस्पतालों की जिम्मेदारी लेने तथा उन्हें एम्स की तरह विकसित करने का सुझाव दिया है।
लोक लेखा समिति की रिपोर्ट के अनुसार,  ईएसआईसी द्वारा पहले से तैयार बुनियादी ढांचा के कुशलतापूर्वक उपयोग तथा सरकारी चिकित्सा कालेजों में शिक्षा का मानक एक समान सुनिश्चित करने के लिये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से संपर्क किया जा सकता है। उनसे ईएसआईसी कॉलेज/ चिकित्सा शिक्षा परियोजनाएओं का जिम्मा लेने तथा उसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की तरह विकसित करने के लिये संपर्क किया जा सकता है ।
समिति ने रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय को देश के विभिन्न भागों में नया एम्स बनाने तथा सरकारी चिकित्सा कॉलेज को उन्नत बनाने की जिम्मेदारी दी गयी है। मंत्रालय जमीन अधिग्रहण, नये अस्पताल बनाने तथा सरकारी चिकित्सा कालेज को उन्नत बनाने की प्रक्रिया में है। रिपोर्ट में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) अस्पतालों में विभिन्न राज्यों में करीब 26 प्रतिशत से 70 प्रतिशत पद रिक्त होने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि बीमित व्यक्ति या अंशधारकों के योगदान के आधार पर काम कर रहा ईएसआईसी उन्हें कर्मचारियों की कमी के आधार पर चिकित्सा सेवा देने से इनकार नहीं कर सकता।
समिति ने श्रम मंत्रालय से तत्काल इस मुद्दे का समाधान करने तथा ईएसआईसी अस्पतालों में कर्मचारी उपलब्ध कराने के लिये ठोस कदम उठाने को कहा। लोक लेखा समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि एक ऐसी व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए जिसमें ईएसआईसी के बजट अनुमान का श्रम मंत्रालय वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण कर सके।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोष न तो निष्क्रिय पड़े रहे और न ही किसी परियोजना या कार्यक्रम पर अधिक व्यय हो।
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