परिचर्चा का शुभारंभ माँ सरस्वती वंदना, दीप प्रज्वलन व् डी.ए.वी. गान के साथ हुआ। महाविद्यालय की सहायक प्रोफेसर सुमन तनेजा व् अंकिता मोहिंद्रा ने उपस्थित शिक्षकों व् छात्रों का परिचय मुख्य अतिथि व् वक्ताओं से करवाया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.सविता भगत, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डी. पी. वैद, डॉ. मुकेश बंसल, डॉ. विजयवंती, डॉ. अर्चना सिंघल आदि ने अतिथिगणों का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। महाविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. बिंदु रॉय ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता डॉ. बनवारी लाल नाटिया ने आजादी के उपरांत से वर्तमान तक की शिक्षा नीतियों की जानकारी देते हुए कहा कि गाँधी जी भी ऐसी ही शिक्षा नीति चाहते थे जो भारतीयता का समावेशन लिए हुए हो और वर्तमान नीति भी भारतीय संस्कृति और परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस शिक्षा नीति में पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा मातृभाषा में होना अनिवार्य, स्वयं वित्तपोषी शिक्षा संस्थानों का सृजन, शिक्षा संस्थानों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाना, शोध प्रकिया पर ज्यादा से ज्यादा फोकस आदि पहलुओं पर मुख्य वक्ता ने अपने विचार रखे।
परिचर्चा के मुख्य अतिथि प्रो. राजबीर सिंह ने बताया कि शायद ही कोई ऐसी शिक्षा नीति रही हो जिसके लिए इतने बड़े स्तर शिक्षकों और जनमानस तक से सुझाव मांगे गए | उन्होंने कहा कि शिक्षा का जो मुख्य उद्देश्य होता है वो है एक नॉलेज सोसाइटी का सृजन करना, जिसका मतलब है सृजित ज्ञान का सही तरीके से उपयोग जिससे मौजूदा समाज को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सके। नई शिक्षा नीति के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती है वो है कि इसे सही तरीके से लागू किया जाए जिससे निर्धारित लक्ष्यों को हासिल कर सके। जी. ई. आर. यानि ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो को बढ़ाना जो निर्धारित लक्ष्यों में से एक है उसको पचास फीसदी करने का लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है जब शिक्षा के लिए टेक्नोलॉजी यानि आई. सी. टी. टूल्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर पायें।
डी.ए.वी. महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष, डॉ. रमेश आर्य ने अपने अध्यक्षीय भाषण में मौजूदा शिक्षा प्रणाली में जो वर्तमान समस्यायें हैं, उनसे अवगत करवाया और ये आशा व्यक्त की कि नई शिक्षा निति को सही तरीके से लागू किया जायेगा। डॉ. डी. वी. सेठी ने कहा कि शिक्षा नीति कोई भी हो पर वो समाज कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाली हो। परिचर्चा के अंत में कुलपति जी ने जिले के विभन्न महाविद्यालयों से आये प्रधानाचार्यों से कोरोन काल व् उसके बाद के शिक्षण में आई और आ रही समस्याओं को जानने का प्रयास किया। उन्होंने हाइब्रिड मोड में शिक्षण को लेकर उनके महाविद्यालयों में तकनिकी उपलब्धता की जानकारी ली तथा साथ ही जानना चाहा कि वो विश्वविद्यालय से किस तरह का सहयोग अपेक्षित करते हैं।
महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. सविता भगत ने उपस्थित अतिथियों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, छात्रों व् पत्रकारों का परिचर्चा में शामिल होने के लिए धन्यवाद किया। डॉ. भगत ने कहा कि आज भारतवासियों को ऐसी ही शिक्षा नीति की जरूरत है जिसमें भारतीयता हो यानि सभ्य समाज का निर्माण कर सके, जीविकोपार्जन के लिए समर्थ बनाने के साथ-साथ शिष्टाचार, सदाचार व् राष्ट्र के लिए समर्पण की भावना छात्रों में उत्पन्न कर सके। अंत में सभी अतिथियों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
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