श्री चावला के अनुसार 125 केवीए का डोमैस्टिक गैस जैनसैट 14 लाख रूपये व 500 केवीए का आयातित गैस जैनसेट एक करोड़ की लागत में आता है, जो जैनसेट डीजल से गैस में परिवर्तित किये जाने हैं उनमें 70 फीसदी गैस व 30 फीसदी डीजल की खपत होगी जिस पर 250 से 300 केवीए के जैनसेट पर 12 से 15 लाख रूपये प्रति जैनसेट की लागत आती है यही नहीं आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि अधिकतम 500 जैनसैट ही एक माह में निर्मित किये जा सकते हैं ऐसे में यदि एनसीआर के ही जनरेटर सैटों को परिवर्तित करने की प्रक्रिया को अमल में लाया जाता है तो इसमें कई वर्ष लग जाएंगे।
श्री चावला के अनुसार फरीदाबाद व गुडग़ांव में लगभग 40 हजार जैनसेट हैं और यदि इन सभी जैनसेटो को गैस पर परिवर्तित किया जाता है तो एक लाख करोड़ रूपये की लागत आती है जिससे सरकार एक गैस पावर स्टेशन या न्यूकिलर पावर प्लांट लगा सकती है।
श्री चावला का कहना है कि वास्तव में उद्योग जैनसेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहते क्योंकि यह बिजली के मुकाबले कई गुणा महंगे पड़ते हैं परंतु जैनसेट का प्रयोग विवशता में इसलिए करना पड़ता है क्योंकि बिजली की सप्लाई नियमित व सुचारू नहीं है।
आपनेे कहा है कि यदि सभी जैनसेट गैस में परिवर्तित कर भी दिये जाते हैं तो भी इससे समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकलेगा क्योंकि इसके बाद जैनसेट को चलाने के लिये गैस की आवश्यकता तो पड़ती ही रहेगी और उसे मंगाने के लिये हमें आयात पर निर्भर होना पड़ेगा।
आईएमएसएमई आफ इंडिया का सुझाव है कि सरकार बिजली की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिये व्यापक स्तर पर योजना तैयार करे। कहा गया है कि यदि दिल्ली एनसीआर जिसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, सोनीपत, पानीपत, पलवल, दिल्ली, फरीदाबाद, रेवाड़ी, गुरूग्राम बहादुरगढ़ इत्यादि शामिल हैं में जैनसैटों को गैस ईंधन में परिवर्तित किया जाता है तो इस पर तीन लाख करोड़ रूपये खर्च होंगे और यह निवेश महज इसलिए किया जा रहा है क्योंकि बिजली की आपूर्ति नियमित नहीं है जिसमें उद्योग प्रबंधकों का कोई दोष नहीं है।
श्री चावला के अनुसार आवश्यकता इस बात की है कि केंद्र व प्रदेश सरकारें जिनके क्षेत्र में एनसीआर के इलाके आते हैं एकजुट होकर न्यूकिलर या गैस पर आधारित पावर प्लांट स्थापित करें क्योंकि इससे जहां समस्या का स्थाई समाधान तो निकलेगा ही साथ ही गैस के आयात को भी नियंत्रित किया जा सकेगा जो वर्तमान में अर्थव्यवस्था के लिये समय की मांग है।
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