श्री जैन का मानना है कि देश में रेलवे, रक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर जो योजनाएं पिछले 10 वर्ष में क्रियान्वित की गई हैं उसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों के प्रति निजी क्षेत्र का रूझान बढ़ा है, ऐसे में यदि निजी क्षेत्र विशेषकर एसएमई सैक्टर को प्रभावी वैंडर्स के रूप में विकसित किया जाए तो परिणाम काफी सुखद व साकारात्मक रहेंगे।
श्री जैन के अनुसार गुरूग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आटोमाबाइल सैक्टर के साथ जुड़े हैं परंतु जब रेलवे, रक्षा या इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित उद्योगों का आंकलन किया जाता है तो एसएमई सैक्टर की भागीदारी काफी कम दिखाई देती है। श्री जैन का सुझाव है कि निजी क्षेत्र या सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच परस्पर संबंधों को बेहतर बनाने के लिये विशेष योजना तैयार की जानी जरूरी है और इसके लिये यदि सरकार एसएमई सैक्टर में अनुसंधान व विकास से संबंधित सहायता प्रदान करे तो परिणाम साकारात्मक रूप से सामने आएंगे।
एसएमई सैक्टरर्स के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, नई मशीनरी, नये आविष्कार, रिसर्च एंड डेवलपमैंट के लिये विशेष सहयोगात्मक कदमों की सिफारिश करते हुए श्री जैन ने कहा है कि सरकार यदि वित्त, भूमि व नई तकनीक के लिये सहायता उपलब्ध कराए तो एसएमई सैक्टर मजबूत बनेगा और इसका लाभ प्रत्यक्ष रूप से अर्थव्यवस्था को मिलेगा।
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