फरीदाबाद। फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के उपप्रधान श्री बी आर भाटिया ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया द्वारा मार्च २०१९ तक बैड लोड आंकड़ों में कटौती होने तथा इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के अनुमानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा है कि पिछले कुछ समय में जिस प्रकार बैंकिंग व्यवस्था में परिवर्तन हुआ है तथा नई व्यवस्थाओं ने अपना स्थान बनाया है उससे चुनौतियां बढ़ी हैं जिसकी ओर ध्यान दिया जाना जरूरी है।
श्री भाटिया के अनुसार मौजूदा समय में एमएसएमई सैक्टर के समक्ष चुनौतियां इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि वित्त संबंधी व्यवस्था प्रभावी रूप से उपलब्ध नहीं हो पा रही हालांकि आरबीआई व बैंक इस संबंध में गंभीर दिखाई देते हैं।
श्री भाटिया का मानना है कि मुद्रा लोन और नये उद्यमियों के लिये फंडिंग की नीति अच्छी है परंतु इस पर कार्यअमल करते हुए कई औचारिकताओं से निकलना पड़ता है जो समस्याएं खड़ी करता है। क्रमश: यही स्थिति उन युनिटों की है जो कार्य कर रहे हैं परंतु नई व्यवस्था के तहत किसी भी प्रकार की पेमेंट या भुगतान में उन्हें जब उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरना पड़ता है तो समस्या बढ़ जाती है क्योंकि बैंक में सदैव एनपीए होने का भय बना रहता है।
श्री भाटिया के अनुसार हालांकि सरकार की योजनायों व बैंक की नीतियों से साफ है कि औद्योगिक विकास के लिये कार्य किये जा रहे हैं परंतु अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय चुनौतियों को देखते हुए उदारवादी कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
श्री भाटिया ने विश्वास व्यक्त किया है कि आरबीआई अपने भावी लक्ष्य की प्राप्ति के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति को भी ध्यान में रखेगा और नीतियों के परिणाम सभी वर्गों के लिये साकारात्मक रूप से सामने आएंगे।
श्री भाटिया के अनुसार मौजूदा समय में एमएसएमई सैक्टर के समक्ष चुनौतियां इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि वित्त संबंधी व्यवस्था प्रभावी रूप से उपलब्ध नहीं हो पा रही हालांकि आरबीआई व बैंक इस संबंध में गंभीर दिखाई देते हैं।
श्री भाटिया का मानना है कि मुद्रा लोन और नये उद्यमियों के लिये फंडिंग की नीति अच्छी है परंतु इस पर कार्यअमल करते हुए कई औचारिकताओं से निकलना पड़ता है जो समस्याएं खड़ी करता है। क्रमश: यही स्थिति उन युनिटों की है जो कार्य कर रहे हैं परंतु नई व्यवस्था के तहत किसी भी प्रकार की पेमेंट या भुगतान में उन्हें जब उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरना पड़ता है तो समस्या बढ़ जाती है क्योंकि बैंक में सदैव एनपीए होने का भय बना रहता है।
श्री भाटिया के अनुसार हालांकि सरकार की योजनायों व बैंक की नीतियों से साफ है कि औद्योगिक विकास के लिये कार्य किये जा रहे हैं परंतु अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय चुनौतियों को देखते हुए उदारवादी कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
श्री भाटिया ने विश्वास व्यक्त किया है कि आरबीआई अपने भावी लक्ष्य की प्राप्ति के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति को भी ध्यान में रखेगा और नीतियों के परिणाम सभी वर्गों के लिये साकारात्मक रूप से सामने आएंगे।
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