वहीं पर्यटकों/दर्शको ने शिल्पकारों व काश्तकारों की कृतियों की जमकर खरीददारी के अलावा मेला परिसर के अलग-अलग हिस्सों में स्थित देसी और विदेशी फूड कॉर्ट में स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद चखा। इसके अलावा सम्पूर्ण मेला परिसर में जगह-जगह विभिन्न मुद्राओं में सांस्कृतिक मंडलियों द्वारा बेहतर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों पर स्थानीय पर्यटकों के अतिरिक्त विदेशी पर्यटक भी थिरकते नजर आए। ढोल नगाडे, बीन, डमरू आदि सांस्कृतिक मंडलियों ने दिन भर अपनी शानदार प्रस्तुतियों से पर्यटकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें नांचने पर भी मजबूर किया।
संगीत को सीमा व भाषा के बंधन में बांधना मुश्किल
विदेशी सांस्कृतिक टीमों में यूगांडा व अन्य देशों के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से पर्यटकों की खूब तालियां बटोरी। गौरतलब है कि संगीत भाषा और सीमा के बंधन से मुक्त है। इसी की मिसाल 36 वें अन्तर्राष्ट्रीय सूरजकुडं हस्तशिल्प मेले की बड़ी चौपाल और छोटी चौपालों पर लगातार देखने को मिल रही है। विदेशी भाषा से अपरिचित होने पर भी पर्यटक विदेशी सांस्कृतिक टीमों की प्रस्तुतियों का न केवल आनंद उठा रहे हैं, बल्कि कलाकारों के साथ नाचते, थिरकते भी नजर आ रहे हैं।
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